जबलपुर, संदीप कुमार। बीती 31 दिसंबर को जारी हुए MPPSC 2019 मुख्य परीक्षा के रिजल्ट्स को हाईकोर्ट में चुनौती दे दी गई है। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट (High court) ने राज्य सरकार और MPPSC को नोटिस जारी किया है और 2 दिन में जवाब मांगा है। याचिका में कहा गया है कि जिस विवादित नियम को सरकार वापिस ले चुकी थी। उसी के आधार पर एमपी-पीएससी के रिजल्ट जारी कर दिए गए।
विवादित नियमों में आरक्षित श्रेणी के मैरिटोरियस छात्रों को अनारक्षित श्रेणी में चुनने से वंचित कर दिया गया था। पहले इन नियमों को समानता के अधिकार के खिलाफ बताकर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। जिसके बाद राज्य सरकार ने इस नियम को 20 दिसंबर 2021 को निरस्त कर दिया था लेकिन रद्द हुए नियमों के आधार पर ही एमपी-पीएससी 2019 के रिजल्ट जारी कर दिए गए।
जिसमें अनारक्षित श्रेणी के मैरिटोरियस छात्रों को अनारक्षित श्रेणी में नहीं चुना गया। इस मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और एमपी-पीएससी से 2 कार्यदिवसों में जवाब मांगा है। दरअसल याचिका में आरोप लगाया गया कि मुखबिर से 31 जनवरी के परिणाम में MPPSC द्वारा रिपील नियम लागू किए गए हैं। इसके लिए 45 याचिका पहले से ही कोर्ट में लंबित है। वहीं हाईकोर्ट में नियम के संवैधानिक तौर पर भी परीक्षा की वैधता को चुनौती दी गई है।
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याचिका में आरोप लगाया गया कि पीएसी ने मुख्य परीक्षा के परिणाम संशोधित नियम को दरकिनार करके जारी किए हैं। इसके साथ ही मुख्य परीक्षा 2019 के परिणाम, पीएससी 2019 के प्रारंभिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा के परिणाम को निरस्त किए जाने की मांग की गई है। बता दें कि संवैधानिक नियमों के तहत कुल आरक्षण 113% था। आरक्षित वर्ग को अनारक्षित ओपन सीट पर जगह दिए जाने से रोका जाता था। वहीं हाईकोर्ट के निर्देश के बाद 20 दिसंबर 2021 को राज्य शासन को इस आदेश को निरस्त करना पड़ा।
साथ ही 4 फरवरी 2022 को मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा 2019 के प्रारंभिक परीक्षा परिणाम और मुख्य परीक्षा परिणाम को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई की गई। वही पूर्व के नियम को लेकर कोर्ट ने राज्य शासन ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग से 2 दिन के अंदर जवाब तलब किया है। वही कोर्ट की अगली सुनवाई 8 फरवरी 2022 को तय की गई है।