हजारों कर्मचारियों की बड़ी तैयारी, नियमितिकरण समेत कई मांग, 15 जनवरी को बड़ी बैठक

Pooja Khodani
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Employees News: चुनावी साल में एक बार फिर कर्मचारियों ने छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार की खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। प्रदेश के हजारों अनियमित कर्मचारी  फिर से प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं, इसको लेकर 15 जनवरी 2022 को एक बड़ी बैठक बुलाई गई है,जिसे अनियमित बइठका नाम दिया गया है। इस बैठक में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व सीएम रमन सिंह समेत तमाम पार्टी के नेताओं बुलाया गया है। इन नेताओं से सभी कर्मचारी उस दिन बात करेंगे।

इस बैठक के  बाद विरोध प्रदर्शन भी किया जाएगा। पूरा कार्यक्रम राजाधानी के बूढ़ातालाब में होगा। दावा किया जा रहा है कि इसमें 50 हजार के करीब कर्मचारी शामिल होंगे।  कर्मचारियों का कहना है कि बैठक में आंदोलन की रूप-रेखा तैयार की जाएगी, हाालंकि यह पहला मौका नहीं है , इसके पहले भी यह कर्मचारी विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं।

छत्तीसगढ़ अनियमित कर्मचारी मोर्चा का आरोप है कि कांग्रेस ने चुनावी घोषणा पत्र में अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने, आउटसोर्सिंग और ठेका प्रणाली को बंद करने और कर्मचारियों को सीधे विभाग से अटैच करने जैसे वादे किये थे, लेकिन सरकार बनने से अबतक इन वादों को पूरा नही किया गया है, ऐसे में कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है और वे 15 जनवरी को काम बंद करेंगे।

कांग्रेस ने किया था ये वादा

छत्तीसगढ़ अनियमित कर्मचारी मोर्चा के प्रदेश प्रमुख गोपाल प्रसाद साहू का कहना है कि राज्य में संविदा, दैनिक वेतन भोगी, 12000 वेतन पर कार्यरत श्रमिक,अशंकालिक और ठेका आदि वर्ग के 5 लाख से अधिक कर्मचारी है। कांग्रेस सरकार को याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सरकार बनने पर 10 दिन में प्राथमिकता से हमारी मांगें पूरी करने का वादा किया था और अपने जन-घोषणा (वचन) पत्र में बिंदु क्रमांक 11 और 30 में अनियमित कर्मचारियों के नियमितीकरण करने, छंटनी न करने और आउट सोर्सिंग बंद करने का वादा किया था।

800 करोड़ का भार

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने बीते 30 सितंबर 2022 को सभी विभागों को पत्र लिखकर सभी अनियमित और संविदा कर्मचारियों की जानकारी मांगी है। पूरा डेटा मिलने के बाद वित्त विभाग आंकलन करेगा कि अगर नियमित करने का फैसला लिया जाता है, तो इससे छग शासन पर कितना वित्तीय भार आएगा। हालांकि सूत्रों के मुताबिक 45 हजार कर्मचारियों को नियमित करने पर करीब 700-800 करोड़ रुपए सालाना भार आने का अनुमान है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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