छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मंगलवार को कोरबा जिले के एकदिवसीय दौरे के दौरान मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक ली और विभिन्न विभागीय स्टॉलों का अवलोकन किया। उनके साथ उप मुख्यमंत्री अरुण साव, विजय शर्मा, कृषि मंत्री रामविचार नेताम, वन मंत्री केदार कश्यप और प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री ने विभिन्न योजनाओं के तहत हितग्राहियों को लाभ वितरित किए, जिसमें आवास, ऋण, वन अधिकार पत्र और आर्थिक सहायता शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के स्टॉल पर पीएम जनमन आवास योजना के तहत पहाड़ी कोरवा वर्ग की सुमत्री बाई और अमर सिंह कोरवा को आवास की चाबी सौंपी। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत परदेशी राम यादव और रामबंधु को पूर्णता प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। रेशम विभाग के तहत शत्रुघन केंवट को कोसा उत्पादन के लिए 3 लाख 27 हजार रुपये का चेक दिया गया। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा सविता पटवा को 1 लाख 20 हजार रुपये का ऋण और आदिवासी विकास विभाग के तहत बिरहोर वर्ग के मोटू, घसनीन और सुरगुजहीन बाई को वन अधिकार पत्र वितरित किए गए। श्रम विभाग की ओर से राजकुमार टेकाम और सावित्री सिंह को मृत्यु एवं दिव्यांग सहायता योजना के तहत 1-1 लाख रुपये के चेक प्रदान किए गए।
नगरीय प्रशासन और बालको सीएसआर की पहल
नगरीय प्रशासन विभाग के स्टॉल पर तब्बसुम खातुन और भान कुमारी साहू को पीएम आवास (शहरी) योजना के तहत आवास की चाबी सौंपी गई, जबकि विमलेश यादव और गौरी राजवाड़े को शहरी आवास 2.0 के लिए स्वीकृति पत्र और भवन अनुज्ञा पत्र दिए गए। बालको के स्टॉल पर सीएसआर के तहत महिला सशक्तिकरण, पोषण विकास, युवा कौशल उन्नयन, छत्तीसगढ़ी कला-संस्कृति संवर्धन और मोर जल मोर माटी कार्यक्रम की जानकारी साझा की गई। इन पहलों से जिले में सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल रहा है।
विकास परियोजनाओं की घोषणा
मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत में कोरबा में विकास परियोजनाओं की घोषणा की। बालक-बालिका क्रीड़ा परिसर के निर्माण के लिए 10-10 करोड़ रुपये, विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिए आवासीय विद्यालय हेतु 5 करोड़ रुपये और सुनालिया पुल के लिए 9 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए। बुका-सतरेंगा पर्यटन विकास के लिए दो महीने में प्रोजेक्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए। इसके अतिरिक्त, एक्वा पार्क स्थापना के लिए 37 करोड़ रुपये और 2015 से पहले की 115 अधूरी सिंचाई परियोजनाओं के लिए 2800 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई, जिससे 76 हजार हेक्टेयर में सिंचाई संभव होगी।





