Wed, Dec 31, 2025

जाको राखे साईंया मार सके न कोई, 104 घंटे बाद बोरवेल से जिंदा निकला राहुल

Written by:Manuj Bhardwaj
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जाको राखे साईंया मार सके न कोई, 104 घंटे बाद बोरवेल से जिंदा निकला राहुल

रायपुर, डेस्क रिपोर्ट। छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के मालखरौदा विकासखंड के गांव पिहरीद में अपने ही घर के बोरवेल में गिरे 11 साल के राहुल को आखिरकार 104 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सकुशल बाहर निकाल लिया गया है।

65 फीट गहरे बोरवेल से निकाले जाने के बाद राहुल की मौके पर मौजूद डॉक्टरों ने जांच की और फिर उसे लगभग 100 किलोमीटर लंबा ग्रीन कॉरिडोर बनाकर एम्बुलेंस से बिलासपुर जिले के अपोलो अस्पताल भेजा गया। रेस्क्यू ऑपरेशन में एनडीआरएफ, सेना, स्थानीय पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों सहित 500 से अधिक लोग शामिल थे। इसके अलावा प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश सिंह बघेल ने भी इस ऑपरेशन की पल-पल की जानकारी ली।

सकुशल बाहर राहुल को रेस्क्यू करने के बाद सीएम बघेल ने ट्वीट कर लिखा, “हमारा बच्चा बहुत बहादुर है। उसके साथ गढ्ढे में 104 घंटे तक एक सांप और मेढक उसके साथी थे। आज पूरा छत्तीसगढ़ उत्सव मना रहा है, जल्द अस्पताल से पूरी तरह ठीक होकर लौटे, हम सब कामना करते हैं। इस ऑपरेशन में शामिल सभी टीम को पुनः बधाई एवं धन्यवाद।”

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105 घंटे चला रेस्क्यू ऑपरेशन

जानकारी के मुताबिक, 11 साल का राहुल साहू शुक्रवार की दोपहर को अचानक अपने घर के पास खुले हुए बोरवेल में गिर गया था और लगभग 65 फुट की गहराई पर जा कर फंस गया। मामले की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन की टीम कलेक्टर जितेंद्र कुमार शुक्ला के नेतृत्व में मौके पर पहुंची, जहां सबसे पहले ऑक्सीजन पाइपलाइन की व्यवस्था कर बच्चे तक पहुंचाई गई। टीम ने बच्चे की गतिविधियों पर लगातार नजर बनाए रखने के लिए कैमरा भी लगाया।

इस दौरान बच्चे के पास जूस, केला और अन्य खाद्य सामग्रियां भी पहुंचाई गई।
चट्टान बनी समस्या

रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान टीम के सामने बहुत सी समस्या आई। सबसे पहले पहले राहुल को मैनुअल क्रेन के माध्यम से रस्सी से बाहर लाने की कोशिश की गई लेकिन राहुल रस्सी पकड़ने में असमर्थ रहा। इसके बाद परिजनों की सहमति और एनडीआरएफ के निर्णय के पश्चात तय किया गया कि बोरवेल के किनारे तक खुदाई कर रेस्क्यू किया जाएगा। शुक्रवार रात लगभग 12 बजे से मशीनों द्वारा खुदाई शुरू की गई।

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एनडीआरएफ और सेना के साथ जिला प्रशासन की टीम ने ड्रीलिंग करके बोरवेल तक पहुंचने के लिए सुरंग बनाई। इस दौरान मजबूत चट्टान आने के कारण टीम को बाधाओं का सामना करना पड़ा।