छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ, जिसमें तीन नए विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। ये तीनों विधायक पहली बार मंत्री बने हैं। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस विस्तार में किसी भी वरिष्ठ विधायक को शामिल नहीं किया, जिससे संकेत मिलता है कि पार्टी राज्य में दूसरी पंक्ति के नेतृत्व को तैयार करने पर ध्यान दे रही है। हालांकि, इस फैसले से कुछ वरिष्ठ नेताओं में नाराजगी की खबरें भी सामने आई हैं।
10 मिनट के शपथ ग्रहण समारोह में कई वरिष्ठ विधायकों की अनुपस्थिति चर्चा का विषय रही। सूत्रों के अनुसार, बीजेपी के पांच वरिष्ठ नेता—अजय चंद्राकर, धरमलाल कौशिक, विक्रम उसेंडी, धर्मजीत सिंह और रेणुका सिंह—शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुए। अजय चंद्राकर राजभवन पहुंचे, लेकिन समारोह में हिस्सा नहीं लिया, जबकि धरमलाल कौशिक दिल्ली रवाना हो गए। राजेश मूणत और अमर अग्रवाल समारोह में मौजूद थे, लेकिन उनके चेहरों पर उदासी साफ दिखाई दी।
नए विधायकों की अनुपस्थिति और बीजेपी का स्पष्टीकरण
मंत्रिमंडल विस्तार से पहले कई नए विधायकों के नाम भी चर्चा में थे, लेकिन उन्हें मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिला। बीजेपी विधायक दल के सचेतक सुशांत शुक्ला ने दावा किया कि विधायकों की अनुपस्थिति का कारण सूचना का अभाव था, न कि नाराजगी। उन्होंने कहा कि कई विधायकों को शपथ ग्रहण समारोह की जानकारी समय पर नहीं मिली, जिसके कारण वे शामिल नहीं हो सके। फिर भी, समारोह में कई विधायकों की गैरमौजूदगी ने राजनीतिक हलकों में चर्चा को जन्म दिया है।
कांग्रेस का तंज: सरकार पर संकट का दावा
कांग्रेस ने मंत्रिमंडल विस्तार में वरिष्ठ नेताओं को नजरअंदाज किए जाने को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी से बीजेपी के भीतर अंतर्कलह बढ़ेगी, और यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएगी। उन्होंने दावा किया कि मंत्रिमंडल विस्तार के बाद पार्टी में असंतोष बढ़ेगा, जिसका असर सरकार की स्थिरता पर पड़ सकता है।





