The Kashmir Files : कश्मीरी पंडितों की कहानी ट्विटर की ज़ुबानी

Gaurav Sharma
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मनोरंजन, डेस्क रिपोर्ट। यूं तो हर साल न जाने कितनी ही फिल्में भारत देश में बनाई जाती हैं, कितनी ही बनते बनते रह जाती हैं और कितनी करोड़ों रुपए का धंधा कर जाति है। पर कुछ ही फिल्में ऐसी होती हैं जो अपनी छाप इस कदर लोगों के दिल और दिमाग पर छोड़ जाती है कि भूले भुलाए नहीं भूली जाती। ऐसी ही एक फिल्म 11 मार्च को रिलीज़ हुई जिसने न केवल दर्शकों की अंतरात्मा को हिला कर रख दिया बल्कि उस सच्चाई को लोगों तक लाने की कोशिश की जिसे अब तक सिर्फ लोगों की ज़ुबानी सुना गया था।

हम बात कर रहे हैं डायरेक्टर विवेक रंजन अग्निहोत्री की फिल्म द कश्मीर फाइल्स की जिसमे कश्मीरी पंडितों के विस्थापन के दर्द की सच्चाई को परदे पर दिखाया गया है। इस फिल्म में मुख्य किरदार में अनुपम खेर, पल्लवी जोशी, मिथुन चक्रवर्ती, पुनीत इस्सर, दर्शन कुमार, मृणाल कुलकर्णी, आदि हैं। फिल्म की शुरुआत होती है सीन से जिसमें बच्चों को क्रिकेट खेलते हुए दिखाया जाता है और बैकग्राउंड में भारत पाकिस्तान के रिश्तों को लेकर कमेंट्री चल रही होती है। शिवा नाम का बच्चा क्रिकेट खेलते में सचिन तेंदुलकर के नाम से चीयर करता है और देखते ही देखते पूरा माहौल बदल जाता है।

फिल्म में दर्शाए गए दृश्य इतनी बारीकी और ईमानदारी से दिखाए गए हैं कि देखने वालों ने उस दर्द को पूरी तरह महसूस किया जो कश्मीरी पंडितों ने 30 साल पहले महसूस किया था। फिल्म खत्म होते हुए जिसे भी थिएटर से बाहर निकलते देखा गया उसकी आंखों में आसूं थे और मन ने गुस्से के साथ सिर्फ एक सवाल की आखिर कब कश्मीरी हिंदुओं को न्याय मिलेगा?

फिल्म देखने के बाद दर्शकों ने फिल्म के बारे में ट्विटर पर अपनी भावनाएं व्यक्त की। क्रिकेटर सुरेश रैना ने ट्वीट करके कहा ” द कश्मीर फाइल्स आपकी फिल्म है, अगर फिल्म आपके दिल को छुए तो न्याय के लिए ज़रूर आवाज़ उठाएं और हुए नरसंहार से पीड़ित लोगों के ज़ख्मों को भरने में मदद करें”

मशहूर फिल्म क्रिटिक्स तरन आदर्श ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि “ब्रिलियंट, 4.5 स्टार, यह फिल्म अब तक कश्मीर पर बनी सभी फिल्मों में सबसे पावरफुल फिल्म है, फिल्म में दिखाया गया कश्मीरी पंडितों का विस्थापन और नरसंहार पूरी तरह सच्चा और दिल को हिला देने वाला है, फिल्म ज़रूर देखें”

इसके अलावा यूट्यूब चैनल अखलेश भमोरे ने थियेटर में जाकर एक दर्शक से बात की। दर्शक न केवल फिल्म देखने के बाद भावनात्मक रूप से टूटा हुआ था बल्कि हुए अत्याचार की सच्चाई को फिल्म में देखकर काफी गुस्से में भी था। दर्शक ने सभी युवाओं से इस फिल्म को देखने की गुजारिश खासतौर पर की है। वही अखलेश ने इस वीडियो को ट्वीट करते समय अपने पोस्ट पर एक ही बात लिखी है ‘Speechless💔💔’।

ट्विटर व अन्य सोशल मीडिया पर कहीं लोगों का गुस्सा देखने को मिल रहा है तो कहीं लोग टूटकर रोते हुए नज़र आ रहे हैं। कहीं लोग विस्थापन के दर्द को महसूस करते हुए न्याय की बात कर रहे हैं तो कहीं युवाओं से इस फिल्म को जाकर देखने की बात कर रहे हैं। दर्शकों ने इस फिल्म को बनाने के लिए डायरेक्टर विवेक रंजन अग्निहोत्री के न केवल निर्देशन की तारीफ की बल्कि उनकी हिम्मत की दाद दी कि वे 30 साल पहले हुए इस विस्थापन और नरसंहार की कहानी को पूरी ईमानदारी के साथ लोगों के सामने तक लाए। दर्शकों ने अन्य लोगों से इस फिल्म को सिनेमा में जाकर देखने का निवेदन कर इस फिल्म को सफल बनाने की गुज़ारिश भी की है। हरियाणा की बीजेपी सरकार ने इस फिल्म को अपने राज्य में टैक्स फ्री कर इसे सफल बनाने में अपना सहयोग देने की कोशिश की है।

 

 

 

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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