जब एक फिल्म को तरस गई थी विद्या बालन, डायरेक्टर्स कहते थे मनहूस, आज है करोड़ों की मालकिन

vidya balan

Vidya Balan Birthday: विद्या बालन बॉलीवुड की एक ऐसी जानी मानी एक्ट्रेस है जो अपने बेहतरीन किरदारों के लिए जानी जाती है। उन्होंने अपने फ़िल्मी करियर में अब तक एक से बढ़कर एक किरदार निभाए हैं। उन्होंने अपने करियर में करीब 40 फिल्मों में अभिनय किया है। विद्या बालन का फिल्मी करियर काफी उतार-चढ़ाव से भरा रहा। आज विद्या बालन अपना 45वां बर्थडे मना रही है। इस खास दिन पर आज हम उनके कुछ अनसुने किस्से बताएंगे।

कब की थी करियर की शुरुआत

विद्या बालन को बचपन से ही ऐक्ट्रेस बनना था। उनके पापा ने उन्हें एक्ट्रेस बनने के लिए सपोर्ट किया लेकिन उनकी मां नहीं चाहती थी कि उनकी बेटी एक्ट्रेस बने। विद्या बालन ने भी अपनी मां की बात मानी। लेकिन वह कभी कभार थिएटर में एक्टिंग कर लिया करती थी। थिएटर में उनकी एक्टिंग को देखकर लोगों ने उन्हें टीवी सीरियल में ऑडिशन देने को कहा। इस तरह उन्होंने एक दो सीरियल में ऑडिशन दिया लेकिन वे ऑन एयर नहीं दिख सकी। उनकी मां को लगा कि इस तरह उनकी बेटी का एक्टर बनने का भूत धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा।

लेकिन फिर विद्या बालन ने एकता कपूर के शो ‘हम पांच’ में ऑडिशन दिया जो उस वक्त का बहुत पॉपुलर शो था। ऑडिशन में विद्या बालन सेलेक्ट हो गई और उन्हें ‘हम पांच’ में काम करने का मौका मिला। यह उनकी मां का भी पसंदीदा सीरियल था इसलिए उनकी मां भी आसानी से मान गई। करीबन डेढ़ साल तक उन्होंने इस सीरियल में काम किया। इसके बाद उन्होंने पढ़ाई को अलविदा कहा और पूरी तरह एक्टिंग करियर में कदम बढ़ाया। जिसके बाद विद्या बालन ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 2005 में आई फिल्म ‘परिणीता’ से की थी। साल 2005 से लेकर साल 2023 तक उन्होंने कई फिल्मों में काम किया। उनकी एक्टिंग का हर कोई दीवाना है।

एक साथ हाथ से निकली थी 12 फिल्मे

विद्या बालन की जिंदगी में एक दौर ऐसा भी आया था जब उनके हाथ से एक साथ 12 फिल्में निकल गई थी। इस किस्से के बारे में एक्ट्रेस ने खुद बताया। उन्होंने बताया कि यह किस्सा उनके साथ साउथ फिल्म इंडस्ट्री में काम करने के दौरान हुआ था। किस्सा सुनाते हुए उन्होंने कहा, ‘ मैंने मोहनलाल और डायरेक्टर कमल के साथ एक मलयालम फिल्म की थी, दोनों की इस मशहूर जोड़ी ने 8 फिल्में एक साथ की थी और नौवीं में मैं थी। लेकिन इसी फिल्म के दौरान दोनों के बीच कुछ पंगा हो गया और फिल्म बंद होने का इल्जाम मुझ पर लग गया, जिस वजह से मुझे डायरेक्टर मनहूस कहने लगे और मुझे कोई फिल्में न मिली एक के बाद एक 12 और फिल्में मेरे हाथ से निकल गई।’


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं। मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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