नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। देश के लाखों 6th pay-7th pay commission कर्मचारियों (Employees) के लिए अच्छी खबर है। लेबर कोड (New labour Code) को लेकर केंद्र सरकार लगातार प्रयास में जुटी हुई है। माना जा रहा है कि जल्द ही इसे लागू किया जा सकता है। इसके लागू होने के साथ ही कर्मचारियों के कार्य शैली सहित उनके वर्किंग लाइफ (working life) पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। इसके साथ ही तय किए गए हैं कि सभी राज्य इसे एक साथ लागू करें। इसके लागू होते ही साप्ताहिक छुट्टी सहित सैलरी और वेतन भत्तों में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
लेबर कोड लागू होने के साथ ही कंपनियों को अपनी कार्यशैली में बदलाव करना पड़ सकता है। पीएम मोदी ने कहा था कि फ्लैक्सिबल वर्कप्लेसिस और फ्लैक्सिबल वर्किंग डे आज के युवा की जरूरत है। केंद्र सरकार का मानना है कि सभी राज्यों को एक साथ लेबर कोर्ट को अपनाना और लागू करना चाहिए। जिससे लोगों की पर्सनल लाइफ और काम के बीच बैलेंस बनाया जा सके।
जानकारी की माने तो छुट्टियों को लेकर इसने एक बड़ा बदलाव किया जा सकता है। पहले किसी भी संस्थान में लंबी छुट्टी के लिए साल में कम से कम 240 दिन काम करना अनिवार्य होता था लेकिन अब नए नियम के तहत यदि कर्मचारी 180 दिन काम करता है तो उसे छुट्टी की पात्रता होगी। 6 महीने काम करने के बाद कर्मचारी लंबी छुट्टी ले सकता है।
इसके अलावा ने लेबर कोर्ट में कर्मचारियों को सप्ताह में 3 दिन छुट्टी और 4 दिन कार्य करने की पात्रता होगी। वहीँ काम के घंटे में इजाफा होगा। कर्मचारी 8 घंटे की जगह 12 घंटे काम करेंगे जबकि सप्ताह में उन्हें 3 दिन की छुट्टी दी जाएगी यानी कुल मिलाकर सप्ताह में 48 घंटे काम करना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही कर्मचारी 3 दिन की साप्ताहिक अवकाश ले सकता है।
इसके अलावा नए वेज कोड लागू होने से कर्मचारियों के हाथ में सैलरी कम आएगी। हालांकि उनके पीएफ (PF) में वृद्धि देखी जाएगी। सरकार के इस प्रावधान से रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों के हाथ में मोटी रकम उपलब्ध कराई जाएगी जबकि ग्रेजुएटी (gratuity) का भी पैसा उनके खाते में भेजा जाएगा। हालांकि उनकी टोटल सैलरी का 50 फ़ीसदी हिस्सा उनके हाथों में देखने को मिलेगा।
वहीँ लोगों की पर्सनल लाइफ और काम के बीच बैलेंस के लिए कॉन्सेप्ट तैयार किया जा रहा है। चार नए कोड को तैयार किया जा रहा। जिसमें वेज लेबर कोड, सोशल सिक्योरिटी, इंडस्ट्रियल रिलेशन और ऑक्यूपेशनल सेफ्टी शामिल है। हालांकि सोशल सिक्योरिटी और ओर्गनइजेशन को सबसे पहले लागू किया जाएगा जबकि रिलेशन और सेफ्टी के लिए नए नियम बनने अभी बाकी है।