नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। हाईकोर्ट (High court) ने एक बार फिर से 7th pay Commission कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। दरअसल हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त हो चुके शिक्षकों को भी सातवें वेतनमान की सिफारिश (7th CPCs) के अनुसार वेतन (salary) और भत्ता (allowance) देने का आदेश दिया है। दरअसल जस्टिस वी कामेश्वर राव ने सेवानिवृत्त शिक्षकों (retired Teachers) की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान हाई कोर्ट ने स्कूल प्रबंधन के दलील को सिरे से खारिज कर दिया। जिसमें कहा गया था कि अक्टूबर 2018 से पहले सेवानिवृत्त शिक्षकों को इसका लाभ नहीं दिया जा सकता।
दरअसल स्कूल प्रबंधन का कहना था कि अक्टूबर 2018 से सातवें वेतन आयोग की सिफारिश को लागू किया गया है। स्कूल प्रबंधन ने हाई कोर्ट को सूचित करते हुए कहा कि सभी याचिकाकर्ता को सातवें वेतन आयोग का लाभ नहीं दिया जा सकता क्योंकि सभी Teachers अक्टूबर 2018 से पहले सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इतना ही नहीं दिल्ली पेश करते हुए स्कूल प्रबंधन का कहना था कि खराब वित्तीय स्थिति को देखते हुए सातवें वेतन आयोग की सिफारिश स्कूल में जनवरी 2016 के बजाय अक्टूबर 2018 में लागू की गई थी।
वही सेवानिवृत्त शिक्षक सुनीता देवी तोमर और अन्य की ओर से वकील अशोक अग्रवाल और कुमार उत्कर्ष ने न्यायालय में दलील पेश की जिसमें याचिका दायर करते हुए कहा गया था कि सभी शिक्षक सेवानिवृत्त हो गए हैं लेकिन स्कूल प्रबंधन द्वारा उन्हें सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के तहत वेतन और भत्ते का लाभ नहीं दिया जा रहा है। वही याचिका में यह भी कहा गया था कि स्कूल प्रबंधन को सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के तहत वेतन और भत्ता का निर्धारण करना चाहिए और इसके लिए बकाया रकम देने के भी आदेश देने की मांग की गई थी।
जिस पर अब शिक्षकों के हित में बड़ा फैसला सुनाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त हो चुके शिक्षकों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के अनुसार वेतन और भत्ता देने की बात कही है। वहीं हाई कोर्ट ने फैसला देते हुए स्कूल प्रबंधन को 1 महीने के भीतर 2016 से सेवानिवृत होने तक शिक्षकों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के मुताबिक वेतन और भत्ते का निर्धारण कर बकाया रकम का भुगतान करने के आदेश दिए गए हैं।