नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। एक बार फिर से शासकीय कर्मचारियों-जजों (Employees-judges) को बड़ी राहत मिल सकती है। दरअसल उनके सेवानिवृत्ति आयु में 2 वर्ष की वृद्धि (Retirement age hike) देखने को मिल सकती है। इसके लिए संविधान में संशोधन की सर्वसम्मति से वकालत की गई है। बता दे अभी कर्मचारी 60-62 और 65 वर्ष की उम्र में रिटायर होते हैं। वही उनकी सेवानिवृत्ति आयु को बढ़ाने की मांग की जा रही है। इस मामले में एक बयान जारी किया गया है। जिसमें कहा गया है इससे पहले कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने के संबंध के मुद्दे पर चर्चा की गई थी।
बता दें कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने उच्च न्यायालय उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की रिटायरमेंट उम्र 65 वर्ष और 67 वर्ष करने संविधान में संशोधन की मांग कर दी है। इसके लिए मांग का प्रस्ताव पास कर दिया गया है। इस मामले में बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नेता उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। वर्तमान के नियम के मुताबिक निचली अदालत के न्यायिक अधिकारी 60 वर्ष की उम्र में जबकि उच्च न्यायालय के जज 62 वर्ष की उम्र में रिटायर होते हैं। हालांकि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश अभी 65 वर्ष की उम्र में रिटायर हो रहे हैं।
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बार काउंसिल ऑफ इंडिया की तरफ से प्रस्ताव तैयार किया गया। जिस के बयान में कहा गया कि संयुक्त बैठक में संसद में विभिन्न प्रक्रियाओं में संशोधन पर विचार किया गया है। इसकी सिफारिश का भी निर्णय लिया गया है। वहीं बार काउंसिल ऑफ इंडिया सचिव ने जारी बयान में कहा कि यह फैसला किया गया कि इस पत्र की प्रति प्रधानमंत्री और केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय को भेजी जाएगी। जिस पर तत्काल कार्रवाई की भी मांग की गई है।
यदि ऐसा होता है तो उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की आयु सीमा में 3 वर्ष की वृद्धि देखी जाएगी। वहीं उनके सेवानिवृत्त आयु सीमा 62 वर्ष से बढ़कर 65 वर्ष हो सकती हैं। बता दें कि इससे पहले केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद में जानकारी देते हुए बताया था कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु बनाने का कोई प्रस्ताव उनके पास मौजूद नहीं है।
किरेन रिजिजू ने कहा था कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाकर 65 वर्ष करने के लिए 2010 में संविधान में 114 वां संशोधन विधेयक पेश किया गया था। जिस पर संसद ने विचारों के लिए नहीं लिया गया और 15वीं लोकसभा के विघटन के साथ यह समाप्त हो गया है।
जानकारी पेश करते उन्होंने बताया था कि संविधान के अनुच्छेद 124(2) के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष निर्धारित की गई है जबकि संविधान के अनुच्छेद 217 (1) के अनुसार उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु 62 वर्ष निर्धारित है।