कांग्रेस की जांच पूरी, पुलिस पर हत्या का आरोप, सरकार से 1 करोड़ रुपये मुआवजा, सीबीआई जांच की मांग

Atul Saxena
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट।  खरगोन जिले के बिस्टान थाने में पुलिस की कथित मारपीट के बाद हुई मौत को कांग्रेस  की जाँच समिति (Congress Inquiry Committee) ने पुलिस पिटाई से हुई हत्या माना है। पूर्व मंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ (Dr Vijayalakshmi Sadho)  की अध्यक्षता में बनी विधायकों की जांच समिति ने आदिवासी युवक बिसन की हत्या के आरोपी पुलिसकर्मियों को कड़ी सजा देने की मांग की है। जांच समिति ने  मध्यप्रदेश सरकार से मृतक के परिवार को एक करोड़ रूपये का मुआवजा देने और पीड़ित परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की है। कांग्रेस ने कहा कि वो अपनी तरफ से पीड़ित परिवार को पांच लाख रूपये आर्थिक सहायता देगी।  कांग्रेस ने घटना की सीबीआई जांच की मांग भी की है।

संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को सम्बोधित करते हुए पूर्व मंत्री एवं विधायक डॉ विजयलक्ष्मी साधौ ने कहा कि मध्यप्रदेश में बिना जनता के मेंडेट के प्रदेश में जो सरकार बैठी है उसे जनता या मतदाता से लेनादेना देना नहीं है  इसलिए निरंकुश होकर काम हो रहे हैं आदिवासी हो, एससी एसटी हो सबपर अत्याचार हो रहे हैं  कि ये सब सरकार के संरक्षण में हो रहा है।

पूर्व मंत्री साधौ ने कहा कि मप्र में आदिवासियों पर अत्याचार लगातार बढ़ते जा रहे हैं। नेमावर में आदिवासी परिवार के पांच सदस्यों को मारकर जमीन में गाड़ दिया जाता है, नीमच में आदिवासी युवक को पिकअप वाहन से बांधकर सड़क पर घसीटा जाता है और उसकी हत्या कर दी जाती है। बालाघाट में आदिवासी नाबालिग की हत्या कर दी जाती है। आदिवासियों को न्याय दिलाने की जगह शिवराजसिंह चौहान सरकार आदिवासी दिवस का अवकाश रद्द कर देती है। जब कांग्रेस कार्यकर्ता सड़क पर आदिवासी अत्याचार का विरोध करते हैं तो उन पर लाठीचार्ज किया जाता है और उनकी आवाज को दबाया जाता है।

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उन्होंने बताया खरगोन जिले के बिस्टान थाना क्षेत्र के खैरकुड़ी गांव के आदिवासी युवक बिसन की हत्या पुलिस की मारपीट से 6 और 7 सितम्बर की दरम्यानी रात को की गई थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ जी ने मेरे नेतृत्व में एक जांच समिति का गठन किया था। समिति में विधायकगण मेरे (डॉ विजय लक्ष्मी साधौ) के अलावा ग्यारसीलाल रावत, पांचीलाल मेड़ा, बालसिंह मेड़ा, मुकेश पटेल को सदस्य बनाया गया था। समिति के साथ विधायक  रवि जोशी, विधायक एवं जिला कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती झूमा सोलंकी और विधायक  केदार डाबर ने 9 सितम्बर को मृतक के गांव खैरकुंडी पहुंचकर ग्रामवासियों एवं मृतक के परिजनों से मुलाकात की और घटना की विस्तृत जांच की।

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जांच का ब्यौरा देते हुए सुश्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ने  बताया कि बीते 31 अगस्त 2021 को पुलिस ने बिसन को जांच के लिये थाने बुलाया। थाने में बिसन के साथ मारपीट की गई। मृतक के पुत्र मिथुन ने कांग्रेस की जांच समिति को बताया जब वह थाने गया तो उसे अपने पिता बिसन को भोजन देने से रोक दिया गया। मिथुन ने बताया कि उसके सामने ही बिसन को बेल्ट और पाईप से थाने के अलग-अलग कमरों में ले जाकर बुरी तरह पीटा गया। बिसन को चार दिन तक खाना नहीं दिया गया। गांव के सरपंच और पटेल ने भी मारपीट की पुष्टि की।

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पटेल ने कहा कि पुलिस की मारपीट के कारण ही बिसन की मृत्यु हुई। बिसन के पिता हाबू ने जांच कमेटी को बताया कि बिसन की जांघ और कूल्हों पर मारपीट के गहरे निशान देखे गये। बिसन को इतना ज्यादा पीटा गया था कि शरीर से उसकी खाल उतर गई थी और जख्मों से उसका मांस बाहर निकल आया था। सुश्री साधौ ने बताया कि जांच कमेटी इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि बिसन की मृत्यु पुलिस प्रताड़ना से हुई है। उन्होंने कहा कि पुलिस अधीक्षक का यह दावा कि बिसन को पुरानी चोटें थी, स्वीकार करने योग्य नहीं है। यदि उसे चोटे पुरानी थी तो पुलिस को उसे अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए था।

उन्होंने कहा कि परिवार और ग्रामवासियों से परामर्श के बाद जांच समिति ने सिफारिश की है कि मृतक बिसन के परिवार में पांच बच्चे हैं एवं वह अपने परिवार का अकेला कमाने वाला था। उसके माता-पिता बुजुर्ग हैं। इन हालात को देखते हुए मृतक बिसन के परिवार को राज्य शासन एक करोड़ रूपये की आर्थिक सहायता मुहैया कराये। परिवार के एक सदस्य को शासकीय नौकरी दी जाये। बिसन की मृत्यु से नाराज होकर उत्तेजना में गांव वालों ने जो प्रतिक्रिया की उस पर पुलिस प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जानी चाहिए। घटना के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए। मामले की गंभीरता को देखते हुए और मप्र शासन के आदिवासी विरोधी रवैये को देखते हुए मामले की सीबीआई जांच करायी जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि जांच कमेटी ने पूरे तथ्यों से पीसीसी चीफ कमलनाथ जी को अवगत कराया और उनके निर्देश पर पीड़ित परिवार को पांच लाख रूपये आर्थिक सहायता कांग्रेस पार्टी की ओर से दिये जाने की घोषणा की।

 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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