MPPSC 2021: हद है… क्या अब ऐसे सवाल भी परीक्षा में पूछे जाएंगे?

Pooja Khodani
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MPPSC 2023

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। MPPSC Exam 2021: रविवार 19 जून को मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (Madhya Pradesh Public Service Commission) द्वारा आयोजित की गई राज्य सेवा एवं वन सेवा प्रारंभिक परीक्षा- 2021 (State Service and Forest Service Preliminary Examination- 2021) विवादों मे घिर गई है।आयोग द्वारा परीक्षा में कश्मीर को लेकर पूछे गए विवादित प्रश्न को लेकर बवाल खड़ा हो गया है। इस प्रश्न को देशद्रोह की श्रेणी में बताते हुए MPPSC और प्रश्नपत्र सेट करने वालों पर कार्रवाई की मांग उठने लगी है।

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दरअसल, MPPSC की प्रारंभिक परीक्षा के दूसरे पेपर में कश्मीर को लेकर विवादस्पद प्रश्न पूछा गया था कि क्या भारत को कश्मीर को पाकिस्तान को दे देने का निर्णय कर लेना चाहिए ?सवाल के जवाब में दो तर्क दिए गए थे। पहला हां, इससे भारत का बहुत सा धन बचेगा। दूसरा नहीं, ऐसे निर्णय से इसी तरह की और भी मांगे बढ़ जाएंगी।हालांकि ज्यादातर अभ्यर्थियों ने डी ऑप्शन पर टिक किया, जिसमें ए और बी दोनों को ही गैर बाजिव बताया गया था।

हैरानी की बात तो ये है कि प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्न पत्र संख्या 48 में कश्मीर पर बयान और तर्क आधारित प्रश्न पूछकर छात्रों की राय मांगी गई है। कथन कि भारत को पाकिस्तान को कश्मीर देने का निर्णय लेना चाहिए? छात्रों को प्रश्नों के उत्तर देने के लिए तर्क भी दिए जाते हैं जिसके आधार पर उन्हें अपने उत्तर विकल्पों का चयन करना होता है।

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मध्य प्रदेश व्यापमं के एक चर्चित मामले के व्हिसल ब्लोअर ने भी ट्वीट कर लिखा है कि Mppsc के पेपर क्या भांग खाकर तैयार करते हैं।।पूछा गया है कि क्या भारत को कश्मीर को पाकिस्तान दे देने का निर्णय लेना चाहिए?पूर्व में भी लोक सेवा आयोग के प्रश्न में भील समाज को लेकर काफी अमर्यादित टिप्पड़ी की गई थी।

कश्मीर पर ये पूछा गया था सवाल

प्रश्न संख्या 48 में पूछा गया कि क्या भारत को कश्मीर पाकिस्तान को देने का फैसला करना चाहिए? और छात्रों को प्रश्न के साथ चुनने के लिए दो तर्क भी दिए।

  • तर्क 1. हां, इससे भारत का धन बचेगा।
  • तर्क 2. नहीं, इस तरह के निर्णय से समान मांगों में और वृद्धि होगी।
  • उत्तर- ए- “तर्क 1” मजबूत है।
  • बी- तर्क 2 मजबूत होता है।
  • सी- तर्क 1 और तर्क 2 दोनों मजबूत हैं।
  • डी- तर्क 1 और 2 दोनों ही मजबूत नहीं हैं।

Twitter पर यूजर्स का ऐसा रहा रिएक्शन

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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