MP Teacher Appointment : DPI के शिक्षक नियुक्ति पॉलिसी को लेकर विवाद, विशेषज्ञ ने की निंदा, इस तरह तय है प्रक्रिया

Kashish Trivedi
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश में शिक्षक नियुक्ति (MP Teacher Appointment) को लेकर नवीन तैयारी की गई है। इसके लिए जो पॉलिसी बनाई गई है। एक बार फिर से विवादों में आ गई है। बता दे कि लोक शिक्षण संचालनालय (Directorate of Public Instruction) द्वारा एक नई पॉलिसी (Teacher Appointment policy)  तैयार की गई है। जिसको लेकर विशेषज्ञ ने कर विरोध जताया है।

जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा नए प्रभारी खेल प्रशिक्षक की नियुक्ति की जानी है। इसके लिए पॉलिसी तैयार की गई है। पॉलिसी के अंतर्गत ट्रेंड को बदला जा रहा। जिस पर अब लोगों की कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई है। मामले में स्कूल शिक्षा विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर धीरेंद्र चतुर्वेदी का कहना है कि मध्यप्रदेश में संभावना असीम है। वहीं शिक्षकों को 5 दिन की ट्रेनिंग देकर स्कूल के शिक्षक को खेल प्रशिक्षक का प्रभार दिया जा सकता है। ऐसे नियम तय किए गए हैं। यदि ऐसा है तो 2 महीने की ट्रेनिंग देकर शिक्षकों के लिए ही बनाया जा सकता है।

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उनका कहना है कि खेल शिक्षक बनने के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता के अलावा फिजिकल एजुकेशन डिग्री होना अनिवार्य है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा इसके लिए फिजिकल कॉलेज भी संचालित किए गए हैं। ऐसे में शाला शिक्षक यदि अयोग्य होगा तो बच्चों के भविष्य पर गलत असर पड़ेगा। इतना कहना है कि खेल शिक्षक और शाला शिक्षक के काम में बड़ा अंतर होता है। इस वजह से इसके लिए फिजिकल एजुकेशन होनी चाहिए।

वहीं पॉलिसी की माने तो गणित विज्ञान और अंग्रेज जैसे विषयों के शिक्षकों 5 दिन की स्पोर्ट्स ट्रेनिंग दी जाएगी और इसके आधार पर उन्हें 14 प्रकार के खेलों के लिए प्रभारी खेल प्रशिक्षक नियुक्त किया जाएगा। अब इस पॉलिसी की खुलकर निंदा हो रही है। इस मामले में ज्वाइन डायरेक्टर धीरेंद्र चतुर्वेदी का कहना है कि जिस प्रकार लाइब्रेरियन ना होने की स्थिति में शिक्षकों लाइब्रेरियन का चार्ज दे दिया जाता है। वैसे ही खेल शिक्षक ना होने पर कक्षा में पढ़ाने वाले शिक्षक को ही प्रभारी खेल प्रशिक्षक नियुक्त कर दिया जाएगा यह पॉलिसी भी खतरनाक है।

वहीं कई विशेषज्ञ का कहना है कि किसी भी व्यक्ति की पोस्टिंग टॉप पोजीशन पर योग्यता के आधार पर होनी चाहिए। वरिष्ठता, अनुभव और आरक्षण के आधार पर यदि इन्हें नियुक्ति मिलती है तो एक अयोग्य अधिकारी पूरे विभाग के लिए मुसीबत बन सकता है। ऐसे में इस पॉलिसी पर एक बार पुनः विचार करने की आवश्यकता है।


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