जयपुर, डेस्क रिपोर्ट। हाईकोर्ट (high court) ने एक बार फिर से कर्मचारियों (employees-doctors) को बड़ी राहत दी है। दरअसल सेवानिवृत्ति उम्र (Retirement age) पर बड़े फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु को 2 वर्ष बढ़ाने सहित उन्हें समान लाभ के हकदार और पेंशन लाभ (pension benefit) सहित अन्य लाभों के भुगतान करने के निर्देश दिए हैं।
दरअसल राज्य सरकार की अधिसूचना को चुनौती देने वाली रिट याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी। जिस पर हाईकोर्ट की जयपुर पीठ ने माना की अधिसूचना कर्मचारियों के बीच भेदभाव पैदा करती है। दरअसल राज्य सरकार की अधिसूचना के तहत आयुर्वेद को छोड़कर केवल चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाओं के डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु को 60 वर्ष की उम्र से बढ़ाकर 62 वर्ष किया गया है।
यूनानी होम्योपैथ आयुर्वेद सहित प्राकृतिक चिकित्सा डॉक्टर को इस आदेश से बाहर किया गया है। जिस पर लाभों से वंचित होने से व्यथित याचिकाकर्ता द्वारा रिट आदेश जारी किया गया था। इसके लिए उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। राजस्थान हाईकोर्ट में राज्य सरकार की अधिसूचना को चुनौती देते हुए रिट याचिका दायर की गई थी।
याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय की जयपुर पीठ ने कहा कि सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने के लिए जारी हुई अधिसूचना में केवल चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाओं के चिकित्सकों को लाभान्वित किया गया जबकि आयुर्वेद चिकित्सा विभाग यूनानी होम्योपैथ और प्राकृतिक चिकित्सा वाले डॉक्टरों को इस आदेश से बाहर कर दिया गया है। यह बेहद भेदभाव पूर्ण रवैया है।अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि पेंशन के पुनर्निर्माण सहित सभी परिणामों के लाभु याचिकाकर्ता को सामान्य रूप से दिए जाएं। साथ ही समय से पहले सेवानिवृत्त के लिए बकाया राशि और ब्याज राशि का पूरा भुगतान किया जाना चाहिए।
इतना ही नहीं मुख्य न्यायाधीश मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति विनोद कुमार भरवानी की खंडपीठ ने अधिसूचना को असंवैधानिक बताया है और इसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत भेदभाव पूर्ण और अनुमेय करार दिए हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि जब दोनों खंडों के डॉक्टर अनिवार्य रूप से एक ही मुख्य कार्य कर रहे हैं।रोगियों का इलाज, उपचार करने सहित उनके देखभाल समान है। उपचार के तरीके चाहे एलोपैथी हो या आयुर्वेद का उपयोग किया गया हो। इसके अंतर के रूप में इसे वर्गीकृत नहीं किया जा सकता।
जिस पर उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि ऐसे आयुर्वेद चिकित्सक जो अधिसूचना जारी होने के पहले समय से पहले सेवानिवृत्त हुए हैं। उन्हें समान लाभ दिए जाए ,उन्हें पेंशन लाभ सहित परिणाम के अन्य लाभ उपलब्ध कराया जाए। साथ ही 62 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक उन्हें सेवा में बने रहने दिया जाना चाहिए।