कर्मचारी-पेंशनर्स के हित में हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, फैमिली पेंशन में मिलेगा लाभ

Kashish Trivedi
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चंडीगढ़, डेस्क रिपोर्ट। हाईकोर्ट (High court) ने एक बार फिर से कर्मचारी (employees)- रिटायर कर्मचारियों (retired employees) को बड़ी राहत दी है। दरअसल हाईकोर्ट ने फैमिली पेंशन (family pension) पर बड़ा फैसला सुनाया है। जिसका लाभ सेवानिवृत्त कर्मचारियों (pensioners) के अलावा उनके दत्तक बच्चों को भी मिलेगा। हाई कोर्ट ने इस मामले में स्पष्ट निर्देश दिया है कि सेवानिवृत्ति के बाद गोद लिए बच्चे को पारिवारिक पेंशन के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है और उसे भी इसका लाभ मिलना चाहिए।

बता दें कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक शासकीय कर्मचारी के दत्तक पुत्र की याचिका पर विचार किया है। इसमें कहा गया है कि सेवानिवृत्ति के बाद गोद लिए बच्चों को पारिवारिक पेंशन के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता। यह करना उचित नहीं होगा। वही दत्तक पुत्र द्वारा पेंशन के लाभ के लिए किए गए आवेदन को उसके पिता की सेवानिवृत्ति के तारीख के बाद गोद लिए जाने के आधार पर खारिज कर दिया गया था। जिस पर अब हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है।

अब हाईकोर्ट के फैसले के बाद लाखों ऐसे कर्मचारियों, जिनके फैमिली पेंशन में उनके दत्तक पुत्र और पुत्री की वजह से इसका लाभ नहीं मिल पाता था। उन्हें अब पेंशन का लाभ दिया जाएगा। इस मामले में कोर्ट ने कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद गोद लिए बच्चे जो मुख्य रूप से निर्भरता प्रदान करने के उद्देश्य से किए जाते हैं। ऐसे बच्चे को पारिवारिक पेंशन के लाभ से केवल इस तथ्य के कारण वंचित किया जाना की गोद लेने में देरी से निर्णय लिया गया है, उचित नहीं है।

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न्यायमूर्ति जीएस संधावालिया और न्यायमूर्ति विकास सूरी की पीठ ने आगे कहा कि एक निःसंतान कर्मचारी सेवानिवृत्ति के बाद एक बच्चे को गोद ले सकता है और यह पारिवारिक पेंशन के लाभ से इनकार करने का एकमात्र आधार नहीं हो सकता है। वही पारिवारिक पेंशन के लाभ से उसे इनकार करने के लिए देर से बच्चा गोद लेने का कोई औचित्य समझ में नहीं आता है।

कोर्ट ने आगे कहा कि परिवार पेंशन योजना, 1964 (हरियाणा राज्य के लिए लागू) के नियम 4 के उप-नियम (ii) के खंड (डी) के नोट -1 को अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करने के लिए रद्द करने के लिए उत्तरदायी है। भारत का संविधान क्योंकि यह सेवानिवृत्ति के बाद कानूनी रूप से गोद लिए गए बच्चों के साथ भेदभाव करता है और उन्हें ‘परिवार’ के दायरे से बाहर रखता है इसलिए उन्हें पारिवारिक पेंशन के लिए अयोग्य बनाता है।

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कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया है वह बेहद उचित है। सेवानिवृत्ति से पहले और बाद में गोद लिए बच्चे के बीच भेदभाव को बढ़ाना किसी भी देरी से उचित नहीं है और सेवानिवृत्ति के बाद गोद लिए बच्चे को परिवार के दायरे से बाहर करना यह पेंशन के लाभ के दायरे से बाहर करना बिल्कुल भी उचित नहीं है। उन्हें पारिवारिक पेंशन के अधिकार से बाहर रखना बेहद गलत निर्णय है। वही पारिवारिक पेंशन के अधिकार से बाहर रखा गया है। जो यह सुनिश्चित करने के लिए प्रावधान है कि सरकारी कर्मचारियों की अनियमितता का सामना ना करना पड़े। वही पेंशन का यह नियम भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के उल्लंघन के आधार पर रद्द किए जाने योग्य और इस पर सरकार को विचार करना चाहिए।


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