कर्मचारी-पेंशनर्स के फैमिली पेंशन पर हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय, इन आश्रितों को मिलेगा लाभ

Kashish Trivedi
Published on -

गुवाहाटी, डेस्क रिपोर्ट। इन दिनों कर्मचारी (Employees) से जुड़े सैलरी (salary) और उनके पेंशन(Employees Pension) मामले में हाई कोर्ट द्वारा लगातार बड़े फैसले दिए जा रहे हैं। दरअसल हाईकोर्ट (high court) ने एक बार फिर से शासकीय कर्मचारियों के फैमिली पेंशन (family pension) पर महत्वपूर्ण फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (IPC)  के मुताबिक हिंदू धर्म पहली पत्नी को ही पारिवारिक पेंशन (family pension) का अधिकार होगा।

उच्च न्यायालय ने सुनवाई करते हुए कहा है कि हिंदू धर्म में द्विविवाह की कोई अवधारणा नहीं है और दूसरी पत्नी द्विविवाह की हकदार नहीं है और इसलिए, पहली पत्नी के अस्तित्व में दूसरी पत्नी पारिवारिक पेंशन की हकदार नहीं है।गुवाहाटी हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति संजय कुमार मेधी की पीठ ने इस प्रकार एक मामले में सुनवाई की। जिसमें याचिकाकर्ता (प्रतिमा डेका) ने पारिवारिक पेंशन की मांग करते हुए खुद को बीरेन डेका की पत्नी बताया था। पत्नी होने का दावा करते हुए प्रतिमा डेका ने अदालत का रुख किया था।

 IMD Alert : मानसून की तेज रफ्तार, पश्चिम बंगाल में एंट्री, 15 राज्य में बारिश का अलर्ट, इन क्षेत्रों में लू की चेतावनी

प्रतिमा डेका ने याचिका में प्रस्तुत किया कि उसके पति सिंचाई विभाग में एक अप्रेंटिस के रूप में काम कर रहे थे और अगस्त 2016 में उसका निधन हो गया था। इसलिए वह पारिवारिक पेंशन की हकदार है। उसने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि उसके तीन बच्चे हैं। दूसरी ओर याचिकाकर्ता के दावे को 6 हलफनामा दाखिल करके प्रतिवादी संख्या सहित प्रतिवादियों द्वारा चुनौती दी गई थी।

प्रतिवादी नं 6 में प्रस्तुत किया कि वह मृतक कर्मचारी की पहली पत्नी है और कानून के अनुसार, वह पारिवारिक पेंशन की हकदार है। पक्षों को सुनने और अभिलेखों के अवलोकन के बाद न्यायालय ने कहा कि पक्ष धर्म से हिंदू हैं और हिंदू विवाह अधिनियम के अनुसार द्विविवाह की कोई अवधारणा नहीं है बल्कि यह भारतीय दंड संहिता के तहत एक अपराध है और इसके लिए तलाक एक आधार भी है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि बच्चे (दूसरी पत्नी से पैदा हुए) भी बड़े हैं और इसलिए हालांकि बच्चों को नाबालिग होने की स्थिति में कुछ राहत दी जा सकती थी, लेकिन वह स्थिति भी नहीं है। मामले के उस दृष्टिकोण में इस न्यायालय ने कहा कि उसके पास याचिका को खारिज करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है क्योंकि दूसरी पत्नी इस मामले में पहली पत्नी के अस्तित्व में पारिवारिक पेंशन की हकदार नहीं है। जिसके तथ्य स्वीकार किए जाते हैं और पार्टियां धर्म से हिंदू हैं। वहीँ कोर्ट ने कहा कि हिन्दू विवाह में बिना तलाक लिए दूसरे विवाह के बाद दूसरी पत्नी को पारिवारिक पेंशन का लाभ नहीं मिलना चाहिए।


About Author
Kashish Trivedi

Kashish Trivedi

Other Latest News