मुरैना, संजय दीक्षित/नितेन्द्र शर्मा। सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद मुरैना जिले में आज भी अजन्मी लड़कियों की कोख में हत्या जारी है। मुरैना के कलेक्टर बक्की कार्तीकेयन ने एक बैठक के दौरान अधिकारियों को इसे रोकने की कङाई से निर्देश दिए। मुरैना प्रदेश के उन जिलों में है जहां आज भी पुरुषों की तुलना में महिलाओं का अनुपात काफी कम है।
‘अगले जन्म मोहे बिटिया न कीजो’ महिलाओं पर प्रताड़ना और अत्याचार के मामलों में यह कहावत अक्सर सुनाई देती है। लेकिन मुरैना जिले में तो बेटी का जन्म लेना ही आज भी अभिशाप जैसा है और इसीलिए उन्हें कोख में ही मार दिया जाता है। खुलासा खुद मुरैना के कलेक्टर बक्की कार्तिकेयन ने एक बैठक के दौरान शुक्रवार को किया।
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उन्होंने कहा कि मुरैना जिले में लिंगानुपात प्रति हजार पुरुषों पर 895 महिलाओं का है। इसे सुधारने के लिए पीसीपीएनडीटी एक्ट के सदस्य नियमित रूप से उन गांव में भ्रमण करें जिनमें पुरुषों की तुलना में महिलाएं काफी कम है। जहां महिलाएं गर्भवती तो होती है लेकिन प्रसव पूर्व ही गर्भपात करा दिया जाता है। उन्होंने पीसीपीएनडीटी एक्ट के सदस्यों को निर्देश दिए कि वह 18 सेन्टरो पर तीन माह के अंदर विजिट करें और यह भी परीक्षण करें कि गर्भपात उस महिला का किया गया है तो क्यों किया गया है और क्या उसके पहले कितने बच्चे थे।
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कलेक्टर ने यह भी निर्देश दिए हैं कि गर्भपात के कारणो का परीक्षण किया जाए और उनके निष्कर्ष पर जांच की जाए। कलेक्टर ने कहा कि पिछले कुछ महीने पहले संजय कॉलोनी में विप्रो कंपनी की अल्ट्रासाउंड मशीन पर छापामार कार्रवाई की गई थी जिसमें अल्ट्रासाउंड मशीन के बारे में असेंबल्ड होना कंपनी ने बताया था। इतना ही नहीं तमिलनाडु के एक डॉक्टर और कुछ स्टाफ नर्स इसमें आरोपी पाए गए थे।
जिसमे कलेक्टर द्वारा डाक्टर के खिलाफ कार्रवाई प्रस्तावित कर तमिलनाडु सरकार से जिला प्रशासन के लिए कार्रवाई करने हेतु भेजने के निर्देश भी कलेक्टर ने दिए और नर्स के खिलाफ कार्रवाई करने की सहमति दी। कलेक्टर ने सभी अधिकारियों को इन मामलों में कड़ाई से कार्य करने को कहा ताकि महिलाओं का अनुपात पुरुषों की तुलना में सुधार सकें।
मुरैना जिले में लिंगानुपात प्रति हजार पुरूषों पर 895 सेक्स रेश्यो है। इसे सुधारने के लिये पीसीपीएनडीटी एक्ट के सदस्य रेगूलर उन गांवों में भ्रमण करें, जिन गांवों में महिला सेक्स रेश्यो कम है। जहां महिलायें गर्भवती होती है, किन्तु प्रसव के पूर्व ही अवर्सन करा लिया जाता है- कलेक्टर pic.twitter.com/szy4A9mEGH
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डाॅ. अनूप गोयल एमएस रोड़, डाॅ. अभिलाषा गर्ग जौरा, डाॅ. योगेन्द्र सिंह कल्याणी सेन्टर एमएस रोड़ मुरैना, डाॅ. शरद कुमार गर्ग शिवा हाॅस्पीटल मुरैना और डाॅ. राकेश उपाध्याय पैथलिस्ट की सहमति प्रदान की है।
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वहां आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग से यह भी देखा जाये कि 3 माह में कितनी महिलाओं ने गर्भधारण किया है और रिपोर्ट के अनुसार कितनी महिलाओं ने समय पूर्ण होने पर प्रसव किया है। जिसमें गर्भधारण के लेकर प्रसव तक उन महिलाओं की निगरानी की जाये।
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उन्होंने कहा कि पीसीपीएनडीटी एक्ट के सदस्य इन 18 सेंटरों पर तीन माह के अंदर विजिट करें और यह भी परीक्षण करें कि गर्भपात उस महिला का किया गया है तो क्यों किया गया है, क्या इससे पहले उसके कितने बच्चे थे।
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