MP के नाम बड़ी उपलब्धि, अग्रणी राज्य में शुमार, राजस्व में होगी वृद्धि

Kashish Trivedi
Published on -

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (MP) में एक तरफ जहां औद्योगिक नवाचार (industrial innovation) और रोजगार के नवीन साधन तलाशे जा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ अब सघन वन क्षेत्रफल (dense forest area) में भी भारी वृद्धि देखने को मिली है। दरअसल इससे एक तरफ जहां पर्यावरण को लाभ मिलेगा। वहीं दूसरी तरफ वन सर्वेक्षण में मध्य प्रदेश का अव्वल आना निश्चित ही यहां के वन प्रबंधन के कुशलता को दर्शाता है। साथ ही वनों के प्रबंधन पर ऐसे समुदाय को इसका सकारात्मक रूप नजर आएगा जबकि दूसरी तरफ प्राकृतिक वनों की वृद्धि से वातावरण भी सुरक्षित होंगे।

वन मंत्री डॉ. कुँवर विजय शाह ने कहा है कि मध्यप्रदेश में अति सघन वन क्षेत्रफल में 63 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। वर्ष 2005 में 4239 वर्ग किलोमीटर अति सघन वन क्षेत्रफल था, जो अब बढ़कर 6665 वर्ग किलोमीटर तक हो चुका है। भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान देहरादून द्वारा वर्ष 2021 में प्रकाशित रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया गया है।

15 हजार 608 वन समितियाँ

वन मंत्री डॉ. शाह ने बताया कि प्रदेश के 79 लाख 70 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र के वन प्रबंधन में जन-भागीदारी हेतु प्रदेश के 15 हजार 608 ग्रामों में वन समिति गठित है। वनों के प्रबंधन में आश्रित समुदायों की भागीदारी से सकारात्मक परिणाम आए हैं। जहाँ एक ओर दुनिया में प्राकृतिक वनों के ऊपर खतरा मंडरा रहा है। ऐसी स्थिति में भी प्रदेश में हजारों ग्राम समुदायों ने वन विभाग के साथ मिलकर बिगड़े वन क्षेत्रों को अच्छे वनावरणों वाले वन-क्षेत्रों में परिवर्तन का कार्य किया है। वन क्षेत्रों में हुई वृद्धि में प्रदेशवासियों खास तौर पर वन क्षेत्रों के आस-पास रहने वाले जनजातीय समुदायों की अहम भूमिका रही है।

MP News : मुरैना पुलिस के मौन अधिकारियों को खुली चुनौती देता वीडियो हुआ वायरल, हर्ष फायर में चलीं ताबड़तोड़ गोलियां

वन समितियों को अब राजस्व का मिलेगा 20 प्रतिशत हिस्सा

वन मंत्री डॉ.शाह ने बताया कि प्रदेश में गठित वन समितियों को राजस्व का 20 फीसदी हिस्सा दिए जाने का निर्णय लिया गया है। इस व्यवस्था के कायम होने से वन समितियाँ आर्थिक रूप से मजबूत होगी। खास तौर पर जनजातीय वर्ग को इसका लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि वन ग्राम को राजस्व ग्राम में परिवर्तन करने की माँग के दृष्टिगत मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर राजस्व विभाग के साथ सैद्धान्तिक सहमति प्राप्त हो चुकी है। अब यथाशीघ्र इसकी प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी।

वन्य-प्राणी और वनस्पति संरक्षण में अग्रणी राज्य

मध्यप्रदेश के वन सागौन, साल जैसी बे-शकीमती इमारती लकड़ी और बाँस उत्पादन के मामले में देशभर में विख्यात हैं। साथ ही वन्य-प्राणियों के संरक्षण के मामले में भी अग्रणी राज्य बन गया है। सर्वाधिक 526 बाघों की उपस्थिति से प्रदेश को “बाघ राज्य” का गौरव हासिल है। देश में सर्वाधिक 3421 तेन्दुए, 2 हजार घड़ियाल और 772 भेडियों की मौजूदगी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र है।


About Author
Kashish Trivedi

Kashish Trivedi

Other Latest News