जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। हाई कोर्ट (MP High Court) इन दिनों याचिका को लेकर सख्त हो गया है। कई विभागों (Department) को नोटिस (notice) जारी कर उनसे जवाब तलब किए जा रहे हैं। इसके अलावा राज्य शासन को भी नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा जा रहा है। इसी बीच लावाखेड़ी के रातापानी के जंगलों के समीप की करीब 50 लाख वर्ग फीट जमीन को लेकर अब हाईकोर्ट ने कई विभागों से सवाल किया है।
हाई कोर्ट द्वारा केंद्र और राज्य शासन सहित सीहोर जिले के कलेक्टर को नोटिस जारी किया गया है। जिसमें जवाब मांगते हुए कहा गया कि लावा खेड़ी में बेशकीमती और जन उपयोगी जमीन कौड़ियों के भाव क्यों आवंटित की जा रही है। हाई कोर्ट में सुनवाई की जा रही थी। इस मामले में दलील पेश करते हुए अधिवक्ता राजेश पंचोली ने कहा कि लावाखेड़ी के रातापानी के जंगल में लघु 50 लाख वर्ग फुट सरकारी जमीन है। जिसमें कई हजार सागौन के पेड़ मौजूद हैं। जिसकी कीमत 500 करोड़ के लगभग है।
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इससे पहले सरकार द्वारा सीलिंग एक्ट ले लिया गया था वहीं 2002 2003 में भूमि के रूप में गांव के निवासी के उपयोग के लिए इसे सुरक्षित कर दिया गया था लेकिन 20 19 में फिर से यह जमीन पर्यटन विभाग को टूरिस्ट गतिविधियों के लिए आवंटित की गई थी। 2021 में पर्यटन विभाग द्वारा इस के तीन हिस्से कर कई जगह पर होटल, स्विमिंग पूल, फिल्म स्टूडियो, मसाज पार्लर के लिए निविदा आमंत्रित किया जा रहा है। वही इस निविदा की ऑफसेट कीमत भी ₹2 करोड़ रुपए तक रखी गई है।
हाई कोर्ट में दलील पेश करते हुए वकील ने कहा कि सीलिंग एक्ट के तहत सीलिंग की जमीन को SC-ST सहित किसान सोसाइटी या फिर स्वतंत्रता सेनानी आदि को दिया जाना में माना गया है। बावजूद इसके ऐसा नहीं किया जा रहा है। जिसके बाद इस मामले में हाईकोर्ट ने प्रमुख राजस्व सचिव सहित वन -पर्यटन विभाग और केंद्र सरकार सहित सीहोर कलेक्टर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जवाब के लिए हाई कोर्ट ने उन्हें 4 सप्ताह का समय दिया है।