दरअसल अरुण यादव ने आज ट्वीट करते हुए कहा कि मेरे शरीर और परिवार की खून की एक एक बूंद में कांग्रेस विचारधारा प्रवाह करती है। मुझे और मेरे परिवार के नाम के आगे यादव लिखा जाता है। Scindia नहीं। इसके साथ ही अरुण यादव ने कहा कि अगर कोई अलगाववादी ताकतें किसी तरफ इशारा कर रही है तो उसे मुंह की खानी पड़ेगी।
इसके साथ ही साथ अरुण यादव ने Tweet में AICC सहित मध्य प्रदेश कांग्रेस, राहुल गांधी (rahul gandhi), कमलनाथ, दिग्विजय और मुकुल वासनिक को टैग किया है। वही अरुण यादव ने इस Tweet के बाद सभी अटकलों को एक बार पूर्ण रूप से खारिज कर दिया है।
खंडवा लोकसभा सीट (khandwa loksabha seat) के लिए कांग्रेस की तरफ से पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव (arun yadav) के नाम पर चर्चा तेज है। अरुण यादव के नाम पर कमलनाथ की सहमति नहीं मिल पा रही है। जिसके बाद अरुण यादव की नाराजगी की बातें खुलकर सामने आ रही है। एक तरफ जहां दिग्विजय सिंह (digvijay singh) ने अरुण यादव के नाम पर सहमति दी है। वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा है कि सर्वे (survey) के आधार पर ही उपचुनाव के लिए टिकट दिया जाएगा। कांग्रेस के कई दिग्गज का मानना है कि अरुण यादव खंडवा की जमीनी नेता है। यादव यहां से सांसद रहे, केंद्रीय मंत्री भी बने और खंडवा से अरुण यादव की दावेदारी कांग्रेस के लिए फायदेमंद हो सकती है।
हालाकि खंडवा से कांग्रेस के प्रबल दावेदारों में अरुण यादव ने शनिवार को अपनी चुप्पी तोड़ी है। अरुण यादव का कहना है कि वह फिलहाल क्षेत्र में जनता की सेवा में लगे हुए हैं। वहीं उन्होंने कहा कि वह भी चाहते हैं कि खंडवा का टिकट सर्वे के आधार पर तय किया जाए। बता दें कि इससे पहले Kamalnath के नेतृत्व में 29 जुलाई को कांग्रेस की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई थी। जिसमें अरुण यादव नदारद रहे थे। हालांकि इस बात की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि 29 जुलाई को पारिवारिक कारणों की वजह से वह बैठक में भाग नहीं ले पाए थे। इसके अलावा अरुण यादव ने कहा कि पार्टी स्तर पर उन्हें किसी से मतभेद नहीं है।
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बता दे की टिकट मामले में जब कमलनाथ से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि अभी प्रत्याशियों के नाम पर कोई मुहर नहीं लगी है। वही अरुण यादव ने भी दावेदार के रूप में अपनी बात कमलनाथ तक नहीं पहुंचाई। इसके अलावा निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा (surendra singh shera) ने भी अपनी पत्नी जयश्री सिंह के लिए टिकट की मांग की है। विधायक झूमा सोलंकी (jhooma solanki) को भी आदिवासी उम्मीदवार बनाने की मांग तेज है। अब ऐसे में प्रत्याशी के चयन पर अंतिम निर्णय AICC को ही लेना है।
हालांकि अरुण यादव की तरह से किसी भी तरह की नाराजगी से साफ इनकार किया गया है। बावजूद इसके महत्वपूर्ण बैठक में अरुण यादव का शामिल ना होना कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है। दूसरी तरफ कांग्रेस की इस घमासान से BJP को मौका मिल गया है। बीजेपी इस मामले में कांग्रेस को घेरने की तैयारी में है। चर्चाओं की माने तो बीजेपी अरुण यादव से संपर्क के लिए जुटी हुई है।