नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने हाईकोर्ट (high court) से राज्य सरकार के खिलाफ अवमानना कार्रवाई (contempt action) को स्थगित करने का अनुरोध किया। इससे एक तरफ जहाँ राज्य सरकार को जहां बड़ी राहत मिलेगी, वहीं दूसरी तरफ कर्मचारियों (Employees) को झटका लगेगा। उच्च न्यायालय के कर्मचारियों के लिए वेतन वृद्धि (Pay hike) के आदेश जारी किए गए थे। वहीँ अब सुप्रीम कोर्ट ने राज्य द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस जारी कर दिया और उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश को स्थगित करने का अनुरोध किया है।
त्रिपुरा उच्च न्यायालय द्वारा एक अंतरिम आदेश जारी किया गया था। जिसमें राज्य सरकार को उच्च न्यायालय के कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि करने के निर्देश दिए गए थे। वहीं उच्च न्यायालय के कर्मचारियों को भी छठे केंद्रीय वेतन आयोग का लाभ ना देने पर राज्य के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी कर दी गई थी। जिसके बाद राज्य सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में इस पर विशेष अनुमति याचिका दायर की गई थी।
दिसंबर 2021 में उच्च न्यायालय ने राज्य को जनवरी 2022 से शुरू होने वाले तीन मासिक किस्तों में कर्मचारियों को वेतन बकाया का भुगतान करने के निर्देश दिए थे। वही इस पर कार्रवाई नहीं होने के बाद राज्य सरकार के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू की गई थी। सुप्रीम कोर्ट में दलील पेश करते हुए त्रिपुरा राज्य के प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने कहा कि उच्च न्यायालय ने मुख्य सचिव को अवमानना की कार्रवाई में 25 जुलाई को पेश होने के लिए कहा है।
वही दलील पेश करते हुए कुमार ने कहा कि उच्च न्यायालय के निर्देश अनुसार हाईकोर्ट कर्मचारियों को नियंत्रित करने वाले सेवा नियम के विपरीत है। उच्च न्यायालय त्रिपुरा सेवा नियम 2014 के नियम 16 का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय के कर्मचारियों का वेतनमान राज्य सरकार के कर्मचारियों के बराबर होगा। राज्य सरकार के कर्मचारियों को अभी तक इसका लाभ नहीं दिया जा रहा है। जिसके कारण हाईकोर्ट के कर्मचारियों को भी इसका लाभ नहीं दिया जा सकता है।
कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क देते हुए कहा कि उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद राज्य के बजट पर भारी बोझ पड़ेगा। वही छठवीं सीपीसी की सिफारिश के लिए अधीनस्थ न्यायपालिका के अधिकार के संबंध में मामला से पूरा राज्य बनाम तरुण कुमार सिंह का विषय है, जो सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। ऐसे में उच्च न्यायालय द्वारा की जाने वाली अवमानना कार्रवाई को स्थगित करने की मांग राज्य सरकार द्वारा की जा रही है।
इससे पहले उच्च न्यायालय कर्मचारी संघ द्वारा दायर एक याचिका में उच्च न्यायालय ने निर्देश पारित किया था। इसमें उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने कहा था कि छठे केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिश का लाभ न्यायपालिका के कर्मचारियों को दिया जाता है। इसलिए समान कार्य के लिए समान वेतन के सिद्धांत को लागू करते हुए राज्य के उच्च न्यायालय के कर्मचारियों को भी समान लाभ देने के निर्देश दिए गए थे। वहीं राज्य ने एकल पीठ के फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी। 21 दिसंबर को मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और एससी चट्टोपाध्याय की खंडपीठ के निर्देशों को लागू करने का निर्देश दिया गया था। दलील सुनने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से आना कार्रवाई को स्थगित करने का अनुरोध किया है।