भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। निवेशकों (investors) के अरबों-खरबों रुपए डकार कर बैठी SAHARA India Company के एजेंट (agent) खासी परेशान है। परेशानी की वजह है निवेशकों द्वारा समय-समय पर की जाने वाली FIR जिसमें उन्हें भी मुजरिम बनाया जा रहा है। इससे तंग आकर एजेंट अब हाईकोर्ट की शरण ले रहे है।
SAHARA India Company की विभिन्न क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटियो (credit cooperative societies) में एजेंटों ने मध्य प्रदेश के ही लाखों निवेशकों का अरबों-खरबों रुपया निवेश कराया है। लेकिन कंपनी परिपक्वता अवधि पूरी होने के बावजूद भी लोगों का पैसा नहीं लौटा रही है। निवेशक परेशान हो रहे हैं और आए दिन पुलिस में FIR दर्ज करा रहे हैं। यहां तक तो ठीक है लेकिन निवेशक सबसे पहला दोषी उस एजेंट को मानते हैं जिसके माध्यम से उन्होंने सहारा में अपनी खून पसीने की गाढ़ी कमाई निवेश की है।
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स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि वह कई बार निवेशक एजेंटों के साथ न केवल गाली गलौज करते हैं बल्कि मारपीट भी कर देते हैं। निवेशकों के प्रताड़ना से तंग आकर ग्वालियर जिले के डबरा में एक एजेंट भूपेंद्र जैन तो आत्महत्या तक कर चुके हैं। तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि सहारा ने अपने एजेंटों का भी पिछले दो ढाई साल से कोई पारिश्रमिक अदा नहीं किया है और उन्हें फील्ड में बेसहारा छोड़ दिया है। एक तरफ निवेशकों का डर और दूसरी ओर पुलिस प्रशासन की कार्रवाई, इन सबसे तंग आकर अब सहारा मध्य प्रदेश के करीब ढाई सौ एजेंटों ने हाई कोर्ट में पिटीशन दायर करने का मन बना लिया है।
SAHARA के पूर्व फील्ड गार्जियन रह चुके अनिल मिश्रा के नेतृत्व में हाईकोर्ट से गुहार की जा रही है कि अब पुलिस प्रशासन द्वारा जो भी कार्रवाई हो वह सहारा के मालिक और डायरेक्टरों के खिलाफ हो क्योंकि सारी धोखाधड़ी के लिए वही जिम्मेदार हैं। सहारा के एजेंट अब खुलकर प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं जो निवेशकों और एजेंटों दोनों को बदहाली में छोड़कर निवेश किये हुए पैसों का दुरुपयोग कर रहा है।