UPSC Prelims 2021: पिछली बार के मुकाबले पेपर रहा टफ,कम हो सकता है कट–ऑफ !

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। आंखों में IAS बनने का सपना लिए हजारों छात्र आज UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) की प्रीलिम्स परीक्षा में उपस्थित हुए। देश भर के 83 शहरों में बनाए गए परीक्षा केंद्रों पर यह परीक्षा आयोजित की गई। परीक्षा के लिए मध्यप्रदेश में कुल 57 सेंटर बनाए गए , जिसमें करीब 20 हजार 765 छात्रों ने सिविल सेवा परीक्षा 2021 (UPSC Prelims 2021) दी। 712 पदों पर भर्ती के लिए हो रही इस परीक्षा में देश भर से लगभग 10 लाख के करीब आवेदन आए हैं।

UPSC Prelims 2021: पिछली बार के मुकाबले पेपर रहा टफ,कम हो सकता है कट–ऑफ !

 

दो चरणों की इस परीक्षा का प्रथम चरण जो कि सुबह 10 बजे से आयोजित होना था, पूर्णं हो चुका है और जिसके बाद अब सामान्य अध्यन के पेपर–1 के कट–ऑफ और कठिनाई के लेवल को लेकर कयास लगना चालू हो चुके हैं।

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यूपीएससी के नियमों के अनुसार जो छात्र सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवेदन करते हैं उन्हें मुख्य रूप से सामन्य अध्यन के पेपर–1 में कट ऑफ के बराबर या उससे ज्यादा अंक लाने पड़ते हैं। बात करें पेपर– 2 (CSAT) की तो यह उन्हें केवल क्वालीफाई करना होता है।

मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2021 की प्रारंभिक परीक्षा के paper–1 की बात करें तो छात्रों के मुताबिक इसका लेवल पिछली बार के मुकाबले कठिन था और उम्मीद की जा रही है कि 2020 के मुकाबले 2021 की परीक्षा का कट थोड़ा ऑफ नीचे जाएगा। बता दें पेपर में चीन और महामारी के जुड़े हुए कई प्रश्न देखने को मिले। इतना ही नहीं, खेल जगत से जुड़े सवालों ने भी छात्रों को परेशान करने में कोई कमी नहीं छोड़ी। छात्रों के मुताबिक Assertion–Reasoning से जुड़े सवालों ने भी छात्रों को पूरी तरह कन्फ्यूज़ कर दिया ।

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बात करें पेपर–2 तो इसमें छात्रों को केवल 33% या कहें सिर्फ 66 नंबर लाने होते हैं जिसके बाद वे पेपर –1 के अंकों को देखते हुए मुख्य परीक्षा के लिए योग्यता देखी जाती है। हर सही जवाब के लिए छात्रों को +2 अंक दिए जाते हैं और हर गलत सवाल के लिए 2/3 नंबर सही जवाबों में से काट लिए जाते हैं। अगर बात करें पेपर को देखते हुए कट ऑफ की तो इस साल का कटऑफ 87 से 92 के बीच होने की उम्मीद जताई जा रही है। अब देखना होगा कि रिजल्ट घोषित होने के बाद कौन अपने सपने के करीब पहुंचता है और किसे फिर से सपने को साकार करने की लड़ाई ज़ारी रखनी होगी।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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