जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट मध्यप्रदेश (MP) में एक तरफ जहां पंचायत चुनाव (MP Panchayat election) की तैयारी शुरू हो गई है। वहीं दूसरी तरफ नगर निकाय चुनाव (urban body election) को लेकर एक बार फिर से जबलपुर हाईकोर्ट (jabalpur high court) ने बड़ा फैसला सुनाया है। राज्य में नगर निकाय चुनाव में आरक्षण (reservation) को चुनौती देने वाली याचिका पर आज सुनवाई की गई। जिसमें मध्यप्रदेश के जबलपुर हाई कोर्ट ने आरक्षण में चुनौती देने वाली याचिका पर रोक को बरकरार रखा है। वही अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।
नगर निकाय चुनाव में आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका के खिलाफ शिवराज सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। जिसके बाद प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव को टाल दिया गया है। बता दें कि इससे पहले हाईकोर्ट में 2 नगर निगम, 79 नगर पालिका और नगर पंचायत में आरक्षण की प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए हाईकोर्ट ने शिवराज सरकार से जवाब मांगा था।
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जिसका जवाब देते हुए सरकार की तरफ से कहा गया था कि अनुच्छेद 243 और नगरपालिका अधिनियम की धारा 29 के तहत नगर निगम, नगर पालिका नगर पंचायत के अध्यक्षों के पदों के आरक्षण का अधिकार राज्य शासन को दिया गया है। MP सरकार ने कहा था कि अनुसूचित जाति और जनजाति को लेकर जो पद आरक्षित हैं, उन्हें जनगणना के आधार पर तय किया गया है और इस मामले में जनगणना आधार पर आरक्षण किया जाता है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया था कि महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष और नगर पंचायत अध्यक्ष के पद आरक्षित करने में किसी भी तरह की गलती नहीं हुई है। कानून का पालन करते हुए आरक्षण किया गया है।
बता दें कि इससे पहले हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में मानवर्धन सिंह तोमर ने नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद में अध्यक्ष और अन्य तरह के आरक्षण प्रक्रिया को चुनौती दी थी। इसके लिए याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि आरक्षण रोटेशन पद्धति से लागू होना चाहिए। जबकि नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद के अध्यक्ष पद पर आरक्षण प्रक्रिया में रोटेशन पद्धति को लागू नहीं किया गया है।
याचिका की पैरवी अभिषेक सिंह भदोरिया द्वारा की गई थी। वहीं इस मामले में सुनवाई 10 मार्च 2021 को हुई थी। जिसमें शिवराज सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए समय मांगा था। वही सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने पूरे प्रकरण के अंतिम निराकरण तक पूरे आरक्षण को स्थगित कर दिया था। जिसके बाद से मामला जबलपुर कोर्ट में पहुंच गया था। इस मामले की सुनवाई अब सुप्रीम कोर्ट में होगी। जिसके बाद ये माना जा रहा है कि अभी प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव नहीं होंगे। नगर निकाय चुनाव में एक लंबा वक्त लग सकता है।