हरियाणा के दक्षिणी क्षेत्र अहीरवाल में भारतीय जनता पार्टी की अंदरूनी राजनीति एक बार फिर सुर्खियों में है। ताजा विवाद नारनौल के पास स्थित कोरियावास गांव में 725 करोड़ रुपये की लागत से बने 800-बेड के मेडिकल कॉलेज के नामकरण को लेकर उभरा है। सरकार ने इस मेडिकल कॉलेज का नाम ‘महर्षि च्यवन चिकित्सा महाविद्यालय’ रखा है, लेकिन केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के समर्थक इसे शहीद राव तुलाराम के नाम पर रखने की मांग कर रहे हैं। इस मांग को लेकर क्षेत्र में पिछले तीन महीनों से माहौल गर्माया हुआ है, लेकिन अब यह मुद्दा भाजपा की आंतरिक खेमेबाजी में बदलता नजर आ रहा है। राज्य के पूर्व मंत्री और पूर्व IAS अधिकारी डॉ. अभय सिंह यादव ने इस मामले में खुलकर राव इंद्रजीत सिंह पर हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लगातार दो तीखे पोस्ट कर राव को “छोटे दिल वाला नेता” बताया और एक जाति के समाज के कुछ नेताओं पर भी जमकर निशाना साधा।
मेडिकल कॉलेज का नामकरण बना सियासी रणभूमि
कोरियावास मेडिकल कॉलेज को लेकर क्षेत्र में लंबे समय से मांग थी कि इसका नाम शहीद राव तुलाराम के नाम पर रखा जाए, जो अहीर समाज के महान स्वतंत्रता सेनानी माने जाते हैं। लेकिन सरकार ने इसे ‘महर्षि च्यवन’ के नाम पर नामित कर दिया। इससे राव इंद्रजीत सिंह समर्थकों में नाराजगी है। वहीं, डॉ. अभय यादव ने इस मुद्दे को राजनीतिक और बिरादरी विशेष के फायदे का एजेंडा करार देते हुए कहा कि “नामकरण से ज्यादा जरूरी है स्वास्थ्य सुविधाएं देना।”
सोशल मीडिया पर दो टूक
डॉ. अभय ने अपनी पहली फेसबुक पोस्ट में राव इंद्रजीत पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कुछ नेता अहीर समाज के ठेकेदार बन बैठे हैं, लेकिन उनका दिल छोटा है। उन्होंने नांगल चौधरी विधानसभा क्षेत्र का उदाहरण देते हुए आरोप लगाया कि ऐसे नेता सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए राजनीति करते हैं। दूसरी पोस्ट में उन्होंने लिखा कि मेडिकल कॉलेज का नामकरण किसी बिरादरी या राजनीतिक एजेंडे से तय नहीं होना चाहिए, बल्कि इससे जनता को क्या फायदा होगा, यह देखा जाना चाहिए।
बिरादरी की राजनीति और नेतृत्व की खींचतान
इस पूरे विवाद के पीछे की राजनीति भी साफ दिख रही है। 15 जून को रेवाड़ी में एक रैली के दौरान राव इंद्रजीत ने बयान दिया था कि “उनकी बिरादरी ने सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई है और उन्हें पदों में हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।” इस बयान को लेकर भी भाजपा के भीतर हलचल मच गई थी। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने हालांकि स्पष्ट किया था कि उनकी सरकार हर बिरादरी को बराबरी का हक देती है। इसके बाद 18 जून को राव ने अपनी बेटी और कुछ विधायकों के साथ डिनर आयोजित किया, जिसे सियासी गोलबंदी के रूप में देखा गया।
2019 से चल रही तनातनी अब खुलकर सामने
राजनीतिक पृष्ठभूमि पर नजर डालें तो डॉ. अभय और राव इंद्रजीत के बीच तनाव कोई नया नहीं है। 2019 के विधानसभा चुनाव में डॉ. अभय का टिकट कटवाने की कोशिशों में राव इंद्रजीत का नाम सामने आया था। वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में भी डॉ. अभय की हार का ठीकरा राव पर फोड़ा गया। अब यह पूरा विवाद भाजपा की अंदरूनी राजनीति को और उलझा रहा है, खासकर अहीरवाल क्षेत्र, जो हरियाणा की राजनीति में काफी प्रभावशाली माना जाता है। जानकार मानते हैं कि मेडिकल कॉलेज के नामकरण के बहाने यह विवाद आगे और गहराएगा और भाजपा के लिए चुनावी मोर्चे पर चुनौतियां बढ़ा सकता है।





