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Tue, Dec 16, 2025

पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के अंतिम संस्कार में राजकीय सम्मान न मिलने पर बवाल, कांग्रेस ने संसद में उठाया मुद्दा

Written by:Vijay Choudhary
पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के अंतिम संस्कार में राजकीय सम्मान न मिलने पर बवाल, कांग्रेस ने संसद में उठाया मुद्दा

पूर्व राज्यपाल चौधरी सत्यपाल मलिक के 6 अगस्त को हुए अंतिम संस्कार के दौरान उन्हें राजकीय सम्मान नहीं दिए जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने संसद में आवाज उठाई और बीजेपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पूर्व राज्यपाल जैसे उच्च पद पर रहे व्यक्ति को अंतिम विदाई के समय सरकारी सम्मान न देना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि यह सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं बल्कि उस पद की गरिमा का अपमान है जिसे उन्होंने वर्षों तक निभाया। उन्होंने सरकार पर जानबूझकर अनदेखी करने का आरोप लगाया।

सोशल मीडिया पर भी जताया विरोध

दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने संसद में अपनी बात रखने के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने अपने X (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर लिखा – “आज मैंने पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक जी को उनके अंतिम संस्कार के दौरान सरकार की तरफ से मिलने वाले राजकीय सम्मान (प्रोटोकॉल) न देने का मुद्दा देश की सबसे बड़ी पंचायत में उठाया। दुख की बात है कि बीजेपी सरकार ने इसे सुनकर भी अनसुना कर दिया।” इसके साथ उन्होंने लोकसभा सत्र का एक वीडियो भी साझा किया जिसमें वे यह मुद्दा संसद में उठाते हुए नज़र आ रहे हैं।

लोकसभा में दी गई श्रद्धांजलि

पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के निधन पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन में शोक संदेश पढ़ा। उन्होंने कहा, “सत्यपाल मलिक का निधन 5 अगस्त 2025 को 79 वर्ष की उम्र में नई दिल्ली में हुआ। यह सभा उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करती है और उनके परिवार के प्रति अपनी संवेदनाएं प्रकट करती है।” इसके बाद लोकसभा सदस्यों ने दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उसी दौरान दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने राजकीय सम्मान से जुड़ा मुद्दा सदन में उठाया।

सत्यपाल मलिक का राजनीतिक सफर और योगदान

चौधरी सत्यपाल सिंह मलिक ने अपने राजनीतिक जीवन में कई अहम पदों पर काम किया। वे जम्मू-कश्मीर, मेघालय, गोवा और बिहार के राज्यपाल रह चुके थे। खासकर जम्मू-कश्मीर के अंतिम पूर्णकालिक राज्यपाल के तौर पर उनका कार्यकाल ऐतिहासिक माना जाता है, क्योंकि इसी दौरान राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटा गया।

मलिक लंबे समय से बीमार चल रहे थे और दिल्ली के डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। 5 अगस्त को उन्होंने अंतिम सांस ली।