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Wed, Dec 17, 2025

हरियाणा कांग्रेस में घमासान, सैलजा–सुरजेवाला हुड्डा गुट में सेंध लगाने की तैयारी में

Written by:Vijay Choudhary
Published:
हरियाणा कांग्रेस में घमासान, सैलजा–सुरजेवाला हुड्डा गुट में सेंध लगाने की तैयारी में

kumari selja and randeep surjewala

हरियाणा कांग्रेस में अब जोरदार गुटबाज़ी तेज़ हो गई है, जहाँ प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता जैसे अहम पदों को लेकर राजनीति जोरों पर है। स्पष्ट रूप से दो मुख्य गुट सामने हैं — एक पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गुट, और दूसरा कुमारी सैलजा–रणदीप सुरजेवाला का खेमा । दोनों अपने-अपने समर्थकों को हाईकमान तक पहुंचाने में जुटे हैं। कांग्रेस हाईकमान के सामने बड़ी चुनौती यह है कि वे पार्टी में गुटबाज़ी को थामने के लिए क्या कदम उठाएं।

विकल्प दो हैं: या तो हुड्डा को विधायक दल का नेता बनाया जाए या सैलजा या सुरजेवाला को प्रदेश अध्यक्ष का पद सौंपा जाए। अगर हाईकमान ऐसे निर्णय लेता है, तो पार्टी में गुटबाजी पर नियंत्रण संभव हो सकता है, अन्यथा दोनों गुट अपने-अपने प्रत्याशियों को आगे कर सकते हैं। हुड्डा समर्थक विधायकों को तोड़ने के लिए सैलजा–सुरजेवाला गुट ने सक्रिय कदम उठाए हैं। उदाहरण के तौर पर, बदली के विधायक कुलदीप वत्स और बेरी के विधायक डॉ. रघुबीर कादियान, जो हुड्डा गुट के प्रमुख चेहरे हैं, लेकिन उन्हें सैलजा–सुरजेवाला की ओर झुकाया जा रहा है।

प्रदेश अध्यक्ष के लिए व्यापक आधार

इस चुनौती को देखते हुए हुड्डा गुट भी अब अपनी रणनीतियों को मज़बूत कर रहा है। पार्टी में ओबीसी प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखते हुए यह भी विचार चल रहा है कि यदि गुटबाज़ी को रोका जाए, तो किसी ओबीसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए। इस क्रम में महेंद्रगढ़ के विधायक राव दान सिंह और राव नरेंद्र के नाम प्रमुख हैं। साथ ही, ब्राह्मण, वैश्य, जाट और एससी वर्गों से भी संभावित उम्मीदवारों पर विचार चल रहा है, ब्राह्मण वर्ग में कुलदीप शर्मा, जितेंद्र भारद्वाज, चक्रवर्ती शर्मा, एससी वर्ग में वरुण मुलाना, शीशपाल केहरवाला, और वैश्य वर्ग में सुरेश गुप्ता, बजरंग दास गर्ग का नाम सामने आया है ।

गुटबाज़ी पर हाईकमान की नजर

कांग्रेस के केंद्रीय पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट में साफ़ कहा गया है कि पुनः मजबूती हासिल करने के लिए भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अनदेखी नहीं की जा सकती । हालांकि, हाईकमान ने यह भी सुनिश्चित किया है कि सैलजा और सुरजेवाला समर्थकों को भी जिलाध्यक्ष जैसे पद दिए जाएं। यह पूरा घटनाक्रम हरियाणा कांग्रेस की आंतरिक राजनीति को दिखाता है, जहां नेतृत्व के पदों पर कब्ज़ा जमाने के लिए दोनों गुट रणनीतिक दबाव बढ़ा रहे हैं।