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Tue, Dec 16, 2025

हरियाणा सरकार की अपील, पर्यूषण पर्व पर 28 अगस्त तक बंद रहे मांस बिक्री

Written by:Vijay Choudhary
Published:
हरियाणा सरकार की अपील, पर्यूषण पर्व पर 28 अगस्त तक बंद रहे मांस बिक्री

Haryana Government

हरियाणा सरकार ने राज्य के सभी नगर निगमों और शहरी निकायों से आग्रह किया है कि वे अपने इलाके के सभी बूचड़खानों से पर्यूषण पर्व के दौरान मांस की बिक्री रोकने की अपील करें। यह पर्व 20 अगस्त से 28 अगस्त 2025 तक मनाया जाएगा, जिसे जैन समुदाय के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है।

सरकार की ओर से यह अपील शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय द्वारा जारी की गई है। एक पत्र के माध्यम से सभी नगर आयुक्तों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में बूचड़खानों को इस दौरान मांस न बेचने की अपील करें।

शाकाहारी जीवनशैली अपनाएं– सरकार की ओर से अपील

शहरी निकाय निदेशालय की ओर से एक संयुक्त निदेशक स्तर के अधिकारी ने पत्र में लिखा है, सक्षम प्राधिकारी द्वारा मुझे यह निर्देश दिया गया है कि आप नगर निगम सीमा में आने वाले सभी बूचड़खानों से पर्यूषण पर्व के दौरान शाकाहारी जीवनशैली अपनाने की अपील करें। अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यह निर्णय जबरदस्ती थोपने के बजाय, एक संवेदनशील धार्मिक मौके पर सामूहिक सद्भावना बनाए रखने की भावना से लिया गया है। अपील को स्वैच्छिक रूप से मानने का सुझाव दिया गया है।

मुंबई हाई कोर्ट ने की भावनाओं की सराहना, लेकिन कानूनी सीमा का ज़िक्र

जहां हरियाणा में प्रशासन ने शांति और सामंजस्य की भावना से यह अपील की है, वहीं मुंबई में इसी मुद्दे पर कोर्ट में एक अलग फैसला आया। जैन समुदाय ने मुंबई में 10 दिनों तक बूचड़खानों को बंद करने की मांग की थी, लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस पर कोई राहत नहीं दी। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ ने कहा कि वे जैन समुदाय की भावनाओं का सम्मान करते हैं, लेकिन कानून के तहत इस तरह की मांग को लागू करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि बीएमसी द्वारा पहले से जारी आदेश के अनुसार सिर्फ दो दिन बूचड़खानों को बंद रखा जा सकता है।

क्या होता है पर्यूषण पर्व? जानिए इसके धार्मिक महत्व को

पर्यूषण पर्व जैन धर्म का एक प्रमुख और पवित्र त्योहार है। यह आत्म-शुद्धि, तपस्या, ध्यान और क्षमा याचना का समय होता है। इस पर्व के दौरान जैन अनुयायी उपवास रखते हैं, आत्म-चिंतन करते हैं और अपने जीवन में की गई गलतियों के लिए क्षमा मांगते हैं। इस पर्व का उद्देश्य है आंतरिक शांति प्राप्त करना, बुराईयों से दूर रहना और दूसरों के प्रति दया और करुणा का भाव रखना। यही कारण है कि जैन समाज इस दौरान मांसाहार से पूरी तरह दूरी बना लेता है और चाहता है कि समाज के बाकी लोग भी इसका सम्मान करें।

धार्मिक भावनाओं और संवैधानिक अधिकारों के बीच संतुलन ज़रूरी

इस मुद्दे पर दो अलग-अलग दृष्टिकोण सामने आए हैं। एक ओर, हरियाणा सरकार धार्मिक सद्भावना को बढ़ावा देने के लिए नरम रुख अपनाते हुए अपील कर रही है, तो दूसरी ओर मुंबई हाई कोर्ट ने संवैधानिक अधिकारों और कानूनी दायरे को प्राथमिकता दी। धार्मिक विविधता वाले देश में इस तरह के मुद्दों पर संतुलन बनाए रखना ज़रूरी है, ताकि किसी की धार्मिक भावनाएं आहत न हों और साथ ही किसी के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन भी न हो।