हरियाणा के भिवानी जिले में कांग्रेस सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के बेटे, दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने हाल ही में बीजेपी सरकार की ओर से संसद में पेश किए जा रहे प्रस्तावित 130वें संवैधानिक संशोधन पर कड़ी आपत्ति जताई है। इस संशोधन के तहत, किसी जन-प्रतिनिधि को यदि 30 दिन से अधिक जेल में रहना पड़े, तो उसकी सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाएगी। हुड्डा ने इसे लोकतंत्र की चोट और विपक्ष को खारिज करने की साजिश करार दिया है।
दीपेंद्र हुड्डा का दृढ़ मानना है कि यह संशोधन भ्रष्टाचार या अपराध को रोकने के लिए नहीं, बल्कि विपक्षी सरकारों को गिराने का हथियार बन सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी इस कानून का दुरुपयोग कर राजनीति का संतुलन बदलने की कोशिश कर सकती है ऐसा पहले झारखंड और दिल्ली में होता तो विपक्षी सरकारें गिरा दी जातीं। कांग्रेस इसे लोकतांत्रिक संस्थानों पर हमला मानती है और वह इसे संसद में पास नहीं होने देगी।
विपक्षी राजनीतिक बयान
हुड्डा अक्सर बीजेपी पर कानून-व्यवस्था, आर्थिक असंतुलन और चुनावी पारदर्शिता को लेकर सवाल उठाते रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि हरियाणा अब अपराध, बेरोजगारी और महंगाई में नंबर एक राज्य बन चुका है बदलते अपराधी समाज, चुनावी धांधली, और नागरिकों के विश्वास में दरार जैसे मुद्दों पर उन्होंने तंज भरे सवाल खड़े किए हैं। यह बयान पहले से मौजूद उनके संघर्ष की निरंतरता है।
विवाद का राजनीतिक मायाजाल
यह मामला इस लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 130वां संशोधन संवैधानिक आधार को प्रभावित करने वाला है यदि इसे प्रयोगशाला में परखे बिना लागू कर दिया गया, तो यह केवल एक विधेयक नहीं रहेगा, बल्कि लोकतंत्र की मजबूती पर चोट बन जाएगा। हुड्डा ने इसे ‘कुर्सी छीनने वाला बिल’ कहकर भावनात्मक पैरामीटर भी जोड़ा, यह दिखाने के लिए कि केवल राजनीतिक विरोध को कमजोर करने पर केंद्रित है।
भविष्य की चुनौती और विपक्ष
बीजेपी द्वारा यह बिल आगे बढ़ाया गया तो इसे रोकने की ज़िम्मेदारी कांग्रेस की कंधों पर आ जाती है। हुड्डा ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस इस बिल को संसद में पास नहीं होने देगी। यह राजनीतिक संघर्ष केवल अब संसद तक सीमित नहीं रहेगा; यह अदालतों, जनता, और मीडिया तक जाने वाले व्यापक राजनीतिक संघर्ष में बदल सकता है। विपक्ष चुनाव पूर्व माहौल में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाएगा और लोकतंत्र की रक्षा का संदेश देगा।





