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Wed, Dec 17, 2025

हरियाणा में राजनीतिक तापमान जोर पकड़ रहा है, अभय चौटाला–हुड्डा के बयान से बढ़ी गुटबाज़ी

Written by:Vijay Choudhary
Published:
हरियाणा में राजनीतिक तापमान जोर पकड़ रहा है, अभय चौटाला–हुड्डा के बयान से बढ़ी गुटबाज़ी

haryana politics

हरियाणा की राजनीति में मौजूदा समय में काफी उबाल दिखाई दे रहा है। विभिन्न राजनीतिक दल (जैसे INLD, कांग्रेस, BJP) के बीच बयान और आरोपों की आंधी ने माहौल को और गर्म कर दिया है। इनेलो के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभय सिंह चौटाला ने भिवानी में एक सभा के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर तीखा हमला बोला। उन्होंने बिना नाम लिए ऐसी आंच दी कि ऐसा लगता है कि हुड्डा ने भाजपा की सरकार बनने में मदद की, जैसे वे बीजेपी की ‘बी-टीम’ हो।

चौटाला ने यह भी आरोप लगाया कि हुड्डा ने निर्दलीय उम्मीदवार खड़े कर कांग्रेस का वोट विभाजित करा कर भाजपा को फायदा पहुंचाया। उन्होंने इसे षड़यंत्र बताया और चुनाव आयोग पर भी सवाल उठाए। इसी के बाद कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने पलटवार करते हुए चौटाला पर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि चौटाला और उनकी पार्टी जनाधार खो चुके हैं और बार-बार कांग्रेस नेताओं का नाम लेकर अपनी राजनीति बचा रहे हैं।

विधानसभा में उठी आवाज

इसी बीच हरियाणा विधानसभा में ‘वोट चोरी’ का मुद्दा भी उभर आया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बगैर ईमानदारी चुनाव नहीं हुए। सदन के अंदर और बाहर दोनों जगह “वोट चोर, गद्दी छोड़” जैसे नारों के बीच हंगामा मच गया। बात सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित नहीं रही—कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्य की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि अपराधों में वृद्धि हो रही है और जनता सुरक्षित महसूस नहीं कर रही।

कानून-व्यवस्था पर हुड्डा की चुनौती

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इसका जवाब दिया कि सरकार सजग है और परिस्थिति नियंत्रण में है। नतीजा, हंगामी बहस और अंत में कांग्रेस विधायक वाकआउट कर गए। हुड्डा ने एक कदम आगे बढ़ते हुए चुनाव आयोग पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि आयोग स्वतंत्र नहीं, बल्कि भाजपा की निर्देशित रूप से काम कर रहा है। उन्होंने प्रदेश में अचानक 2.5% वोट बढ़ने का ज़िक्र कर कहा कि इससे लोकतंत्र की कीमत पर शक पैदा होता है।

व्यापक राजनीतिक तनाव

इन घटनाओं ने हरियाणा में राजनीतिक तनाव को और गहरा कर दिया है। नेता एक-दूसरे पर कटाक्ष कर रहे हैं, आरोप-प्रत्यारोप तेज हैं और विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है—खासकर शहरी से ग्रामीण इलाकों तक। विश्लेषकों की मानें तो इस तरह की बयानबाजी का असर आम जनता पर भी पड़ता है। चुनाव नज़दीक हैं और ऐसे आरोप-तर्क से मतदाताओं का भरोसा दोनों ओर के नेताओं से खिसकता दिख रहा है।