पातालकोट मामले में हरिरंजन पर गिरेगी गाज! अजय सिंह ने CM को लिखा पत्र

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भोपाल। मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह नगर छिंदवाड़ा के पातालकोट की जमीन निजी कंपनी को देने के मामले में पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव हरिरंजन राव पर गाज गिर सकती है। इस मामले से जुड़ी फाइल मुख्यमंत्री ने तलब कर ली है। बताया गया कि मुख्यमंत्री पर्यटन विभाग की इस करतूत से बेहद नाराज हैं। जल्द ही सरकारी जमीन को निजी कंपनियों को देने वाले अफसरों पर कार्रवाई की जा सकती है। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय सिंह ने हरिरंजन राव के खिलाफ कार्रवाई के लिए सीएम को पत्र लिखा है| 

अजय सिंह ने आईएएस हरिरंजन राव पर पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव रहते हुए नियमों को दरकिनार कर सरकारी जमीनों की बंदरबांट का आरोप लगाया है| टूरिज्म के होटल भी बेच डाले| अजय सिंह ने आरोप लगाया है कि शिवराज सरकार के शासनकाल में मध्य प्रदेश के पर्यटन विभाग को मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थ प्रमुख सचिव ने बेच डाला। अजय सिंह का कहना है कि दिग्विजय सरकार में जब वे पर्यटन मंत्री थे तो पर्यटन विभाग केवल पर्यटन विभाग हुआ करता था। शिवराज के खासम खास इस आईएएस अधिकारी ने पर्यटन विभाग और पर्यटन निगम के अलावा एक बोर्ड भी बना डाला और फिर नियमों को तोड़ मरोड़ कर अपने हिसाब से मध्य प्रदेश की ऐतिहासिक धरोहरों को बेच दिया।  

गौरतलब है कि छिंदवाड़ा जिले के पातालकोट में पर्यटन विभाग ने नियमों की धज्जियां उड़ा कर भ्रष्टाचार कर पातालकोट के ऊपरी हिस्से बीजाढाना को दिल्ली की निजी कंपनी यूरेका कैंप आउटस प्राइवेट लिमिटेड को सौंप दिया गया| पिछले दिनों इस मामले के सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है|  बताया जा रहा है कि दिल्ली की कंपनी से जो लीज का अनुबंध किया गया है वो भी नियम के विरुद्ध किया गया है। पर्यटन नीति 2016 के तहत साहसिक गतिविधियों के लिए अधिकतम 15 साल के लिए ही जमीन लाइसेंस पर दी जा सकती थी, लेकिन नियमों को ताक पर रख पर्यटन प्रमुख सचिव रहे हरिरंजन राव ने कंपनी को 20 साल के लिए लीज पर दे दिया। 

ये है पूरा मामला

दरअसल, यह क्षेत्र मुख्यमंत्री कमलनाथ के संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा में आता है। पातालकोट के ऊपरी गांव बीजाढाना (रातेड़ पाइंट) की 7.216 हेक्टेयर भूमि 2009  में झमीलाल, इंदरशा, गोविंद, मंदर, गोरखशा, गोरखलाल और अन्य आदिवासियों के नाम थी। पहले तो सरकार ने पर्यटन विकास के लिए इसे अधिगृहीत कर उन्हें बेदखल कर दिया जबकी नियम के अनुसार इसका सीधा सौदा नही किया जा सकता। इसके बाद राज्य पर्यटन विकास निगम ने इस जमीन को विकसित कर सितंबर 2017 में इसे दिल्ली की फर्म यूरेका केम्पआउट्स प्राइवेट लिमिटेड को बीस साल के लिए 11  लाख में इसे लीज पर दे दिया। उससे एक लाख 10 हजार रुपए प्रति वर्ष लीज रेंट देने का करार किया गया। कंपनी को एडवेंचर्स क्षेत्र विकसित करने के लिए 18 माह का समय दिया है।जबकी पर्यटकों के लिए सड़क, बिजली, पानी, बाउंड्रीवॉल और प्लेटफार्म जैसी सुविधाएं पहले ही सरकार ने मुहैया करा करा रखी है।वही यह बात भी सामने आई है कि पर्यटन विकास निगम की तत्कालीन प्रबंध संचालक छबि भारद्वाज ने इस सौदे का प्रस्ताव दो बार लौटा दिया था, लेकिन पर्यटन सचिव हरिरंजन राव जमीन को दिल्ली की फर्म को लीज पर देने पर अड़े रहे। उनके दबाव में खुद छिंदवाड़ा कलेक्टर फर्म को जमीन सुपुर्द करने पातालकोट पहुंचे थे।

नो एंट्री का लगा दिया है बोर्ड

पातालकोट अपनी सुंदरता के लिए मशहूर है। इस पाइंट से पातालकोट की गहराईयों को आसानी से देखा जा सकता है। पहले हजारों की तादाद में यहां पर्यटक आते थे और पहाड़ीनुमा सड़क से ऊपर चढ़ इसकी गहराईयों को देखते थे, लेकिन अब यहां पर्यटकों और आदिवासियों के लिए इसे बंद कर दिया गया है।यहां नो एंट्री का बोर्ड लगा दिया गया है।यह मुख्यमंत्री कमलनाथ का संसदीय क्षेत्र कहलाता है। 


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