भोपाल।
कमलनाथ सरकार ने पूर्व मुख्य सचिव बीपी सिंह को राज्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया है। इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश जारी किए है। आज ही दिन बीपी सिंह मुख्य सचिव पद से रिटायर हुए है, उनकी जगह एस आर मोहंती को मुख्य सचिव बनाया गया है। वही दूसरी तरफ बीपी सिंह को राज्य निर्वाचन आयुक्त बनाए जाने पर कांग्रेस में ही सवाल उठने लगे है, जिसकों लेकर पार्टी में हड़कंप मच गया है।
दरअसल, मप्र कांग्रेस कमेटी के सूचना का अधिकार विभाग के चैयरमेन और आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे ने बीपी सिंह की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए कहा है कि बीपी सिंह ऐसे आईएएस है, जिन्हें भाजपा ने मुख्य सचिव बनाया और 6 माह कि अतिरिक्त सेवावृद्धि दी थी ।चुनाव के दौरान इसका विरोध कांग्रेस ने भी किया था, लेकिन सत्ता में आते ही कांग्रेस ने यू-टर्न ले लिया है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उन्हें राज्य निर्वाचन आयुक्त बनाया है।
दुबे ने कहा कि बीपी सिंह के कार्यकाल में मध्यप्रदेश का चर्चित ई टेंडर घोटाला हुआ, मंदसौर गोलीकांड हुआ हरिद्वार में गंगा के तट पर अहिल्या बाई होल्कर के द्वारा निर्मित देवस्थानों की जमीन बिकी, लेकिन आज कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी के सिद्धांतों के विपरीत सरकार ने दागी को निर्वाचन आयुक्त बनाया। भाजपा शासनकाल में 15 साल लड़ने वाले कांग्रेस के साथियों को यह जानना जरूरी है कि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा की पसंद मप्र की कांग्रेस की कमलनाथ सरकार की पसंद है ।खैर बात दिल्ली तक जाएगी।
बताते चले कि चुनाव से पहले 30 जून 2018 को कमलनाथ ने चीफ इलेक्शन कमीशन को एक पत्र लिखकर सिंह के कार्यकाल को छह महीने आगे बढ़ाने का विरोध किया था। उन्होंने मांग की थी कि निष्पक्ष चुनाव करवाने के लिए सिंह का कार्यकाल आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिए। नाथ ने आशंका व्यक्त की थी कि सिंह चुनाव के दौरान प्रशासनिक मशीनरी का दुरुपयोग कर सकते हैं। कांग्रेस नेताओं ने भी इस बात कि मांग की थी कि आचार संहिता के लागू होने के साथ ही सिंह को हटाया जाए। लेकिन सरकार में आने के बाद अब सीएम नाथ को सिंह पर भरोसा होने लगा है, जिसके चलते उन्हें आर परशुराम की जगह राज्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया है। वही परशुराम को अटल बिहारी वाजपेयी स्कूल ऑफ गुड गवर्नेंस का महानिदेशक बनाया जा रहा है।