MP Co-operative Societies: नियम में हुए संशोधन, इन विभागीय कर्मचारियों को होगा लाभ

Kashish Trivedi
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। केंद्र सरकार (Modi Government) द्वारा सहकारी समितियों (MP Cooperative Societies) को बढ़ावा देने के बाद अब शिवराज सरकार (Shivraj government)  द्वारा भी सहकारी समितियों को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्यशैली की जा रहे हैं। इसके साथ ही कई महत्वपूर्ण नियम में संशोधन किया जा रहा है। वही अब 20 साल के लंबे इंतजार के बाद मध्य प्रदेश में सहकारी समितियों के प्रबंधक की भर्तियां की जाएगी। इसके लिए सेवा नियम में संशोधन कर समिति प्रबंधक के पद को फिर से बनाया गया है। मध्य प्रदेश में 20 साल के बाद सहकारी समितियों में प्रबंधक (Co-operative Societies Manager) की नियुक्ति होगी।

इससे पहले 2007-8 में वैद्यनाथन पैकेज को लागू करने के साथ ही इस पद को समाप्त कर दिया गया था। हालांकि इस पद के समाप्त होने के बाद व्यवस्था में काफी परिवर्तन आए थे। बता दे कि मध्यप्रदेश में समिति प्रबंधक के 5007 पद हैं। जिनमें से 795 नियमित तौर पर काम कर रहे हैं वहीं शेष पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। 3004 पद विभागीय अधिकारियों से भरे जाएंगे जबकि 1208 पदों पर सीधी भर्ती के साथ नियुक्ति की जाएगी।

3004 पदों पर पूर्व से समितियों में काम करें कर्मचारियों को मौका दिया जाएगा। वहीं 1208 पद पर IBPS के माध्यम से समिति प्रबंधक के नियुक्ति की जाएगी। 3004 पदों के लिए पूर्व में काम कर रहे कर्मचारी से उनके आवेदन लिए जाएंगे। समिति प्रबंधक के लिए नियुक्ति में कम से कम 5 साल का अनुभव होना अनिवार्य है। इसके साथ ही 12वीं परीक्षा उत्तीर्ण होने के साथ कंप्यूटर संबंधी प्रमाण पत्र होना आवश्यक है। उम्मीदवार पर किसी भी तरह के धोखाधड़ी और गबन के मामले दर्ज ना हो। साथ ही उम्मीदवार 57 वर्ष से कम आयु के हो।

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वहीं सूचना के आधार पर मेरिट लिस्ट जारी की जाएगी। खाली पद के दुगुने आवेदक होने की स्थिति में इंटरव्यू के लिए बुलाया जाएगा। इंटरव्यू के आधार पर अंतिम सूची जारी की जाएगी। जिसके बाद लिस्ट में चयनित अभ्यर्थियों के दस्तावेज परीक्षण और अभिमत के लिए उन्हें संयुक्त पंजीयक को भेजे जाएंगे। पंजीयक द्वारा परीक्षण कराने और अनुमोदन के बाद ही सहकारी समितियों में प्रबंधक की नियुक्ति होगी।

इधर सहकारी समितियों में लगातार बढ़ रहे काम के बाद समितियों की कार्यशैली काफी प्रभावित हुई थी। प्रदेश में समर्थन मूल्य पर गेहूं धान सहित अन्य उपज की खरीदी सहित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में खाद्यान्न वितरण, किसानों को अल्पावधि ऋण उपलब्ध कराने सहित कार्य सहकारी समितियों पर ही निर्भर है।

इन कामों के बीच में तो सेल्समैन की नियुक्ति हो पा रही थी ना ही अन्य पदों पर नियमित अधिकारी पदस्थ किए जा रहे थे। वही सहकारी समितियों में प्रबंधक की आखिरी नियुक्ति वर्ष 2000 में की गई थी। साथ ही सभी सहकारी समितियों में सहायक समिति प्रबंधक को समिति प्रबंधक का प्रभार देकर कार्य को आगे बढ़ाया जा रहा था।


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