शिवराज की भी नहीं मान रहे नाराज नेता, चुनाव में नुकसान तय

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भोपाल| मध्य प्रदेश में नाराज नेताओं ने मुश्किलें बढ़ा रखी है| ख़ास बात यह कि यह लगातार दूसरा चुनाव है जब भाजपा को डैमेज कण्ट्रोल में पसीने छूट रहे हैं और नाराज नेता मानने को तैयार नहीं है| प्रदेश के 13 साल मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान की अपील भी काम नहीं आ रही| जबकि कुछ साल पहले तक शिवराज के हस्तक्षेप से बड़े बड़े विवाद सुलझ जाते थे, चुनावी समय में होने वाली तोड़फोड़ की रणनीति फेल कर देते थे| लेकिन स्तिथि बदल गई है और नाराज होने वाले नेता शिवराज की भी नहीं सुन रहे हैं| बालाघाट में टिकट कटने के बाद नाराज होकर निर्दलीय मैदान में उतरे बोध सिंह भगत को शिवराज ने मनाने की कोशिश की लेकिन वे फिर भी मैदान में डटे हैं| वहीं खजुराहो में उठे विरोध को साधने के लिए शिवराज पूरी कोशिश में जुटे हैं, लेकिन नाराज नेताओं के रुख हैरान कर रहे हैं| 

बीजेपी में सबसे ज्यादा कलह खजुराहो के फैसले को लेकर है, जहां संघ की पसंद वाले नेता वीडी शर्मा को टिकट दिया गया है| उनके विरोध में उतरे नेता भी निर्दलीय मैदान में कूद पड़े हैं| खजुराहो सीट से नामांकन के अंतिम दिन दो पूर्व विधायकों समेत चार भाजपा नेताओं ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन फार्म जमा किया है|  वीडी शर्मा के खिलाफ निर्दलीय नामांकन भरने वालों में कटनी मुड़वारा से विधायक रहे सुकीर्ति जैन और गिरिराज किशोर पोद्दार शामिल हैं| पिछले दिनों पोद्दार ने इस फैसले के खिलाफ इस्तीफा दे दिया था|  इसके अलावा पन्ना भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष जयप्रकाश चतुर्वेदी और छतरपुर से पूर्व जिला उपाध्यक्ष सुधीर शर्मा ने भी फार्म भरा है| निर्दलीय नामांकन जमा करने वाले चारों नेताओं का कहना है कि जनता यहां स्थानीय प्रत्याशी चाहती है, लेकिन पार्टी ने बाहरी को टिकट दिया| वहीं डैमेज कंट्रोल में जुटी भाजपा ने नाराज नेताओं को मनाने की कोशिश तेज कर दी है| इन्हे 22 अप्रैल से पहले नाम वापस लेने के लिए दवाब दिया जा रहा है| शिवराज भी इन्हे मनाने की कोशिश फ़ोन पर कर चुके हैं| इसी परिप्रेक्ष्य में पूर्व सीएम शिवराज कल शहडोल व सीधी लोकसभा क्षेत्री की चुनावी सभाओं को सम्बोधित करने के बाद पन्ना में रात रुके| यहां उन्होंने अलग अलग इन नेताओं से मुलाकात की और पार्टी हित में काम करने के लिए समझाइश दी है| लेकिन अभी तक यह नाराज नेता माने नहीं हैं| वीडी शर्मा के खिलाफ अगर इन चारो में से कोई एक भी नेता मैदान में डटा रहा तो यहां भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है| 

इससे पहले बालाघाट में भगत को भी पार्टी नेताओं समेत शिवराज ने खूब समझाइश दी| लेकिन वे नहीं माने और अपनी ही पार्टी के खिलाफ मैदान में उतरे हैं| यही स्तिथि कई अन्य सीटों पर भी हैं जहाँ पार्टी का डैमेज कण्ट्रोल फेल रहा और नाराज नेताओं ने शिवराज की बात को भी नकार दिया| प्रदेश की एक दर्जन से अधिक सीटों पर विरोध की स्तिथि को देखते हुए पार्टी नेता मैदान में उतरे हैं, अगर यह नाराजगी जल्द दूर नहीं की गई तो भाजपा को कई सीटों पर भारी नुकसान होने की संभावना है| 


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