भोपाल। मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार को बड़ा झटका लगा है। पार्टी असंतोष और नाराज विधायकों को संसदीय सचिव बनाने का मन बना रही थी। लेकिन कानूनी सलाह लेने का बाद ऐसा होना संभव नहीं है। इसलिए अब कोई भी विधायक संसदीय सचिव नहीं बन सकता है। मध्य प्रदेश में 15 साल बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस में गुटबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है। नाराज विधायक अपनी वरिष्ठता और मंत्री पद नहीं मिलने पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से भी मिल चुके हैं।
जानकारी के मुताबिक कांग्रेस ने कैबिनेट में 28 विधायकों को शामिल किया है। इनके अलावा जिनको मंत्री मंडल में शामिल नहीं किया गया है उन्हें पार्टी संसदीय सचिव बनाने पर विचार कर रही थी। लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकता। इससे पार्टी को बड़ा झटका लगा है अब पार्टी के सामने एक और संकट खड़ा हो गया है। रूठों को कैसे मनाएंगे। एस मात्र रास्ता भी अब बंद हो गया है।
इनकी नाराजगी बरकरार
कांग्रेस में मंत्रिमंडल के गठन और विभाग वितरण को लेकर एक बार फिर गुटबाजी उभरकर सामने आ गई है। मंत्री पद से वंचित रहे वरिष्ठ विधायक केपी सिंह, एदल सिंह कंषाना, संजय शर्मा और राजवर्धन सिंह की नाराजगी कम नहीं हो रही है। मुरैना में एदल सिंह कंषाना के खुलकर विरोध के बाद वहां सिंधिया समर्थक स्थानीय विधायकों व जिला कांग्रेस कमेटी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का प्रायोजित ढंग से विरोध कर रहे हैं। इन आरोपों से कड़कड़ाती ठंड के बावजूद सियासी तापमान बढ़ गया है। इन सबके बाद दिग्विजय सिंह शनिवार को दिल्ली में सिंधिया से मिलने उनके निवास पर पहुंचे थे।