Bhopal Town and country planning : भोपाल में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के अधिकारियों का एक गजब कारनामा सामने आया है। विभाग के अधिकारियों ने एक बिल्डर को भोज वेटलैंड के अंतर्गत आने वाली जमीन पर दोबारा विकास की अनुमति दे दी। हैरत की बात यह है कि जिस व्यक्ति के आवेदन पर यह अनुमति दी गई है, क़रीब तीन साल पहले ही उसकी मृत्यु हो चुकी है। अब इस मामले में शिकायत होने पर विभाग के अधिकारियों के होश उड़े हुए हैं।
जानिए क्या है पूरा मामला
भोपाल में मे. कुणाल बिल्डर्स एंड डेवलपर्स के द्वारा सरकार के साथ-साथ निवेशकों के साथ भी बड़ी धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। दरअसल बिल्डर द्वारा ग्राम सेवनिया गोंड में खसरा क्रमांक 43,44, 45, 47/ क्रमांक 57 व 54 पर नई कॉलोनी विकसित की जा रही है। यह पूरा क्षेत्र भोज वेटलैंड की सीमा में आता है। उसके बाद भी इसकी अनुमति दे दी गई। बिल्डर के द्वारा ना तो इस जमीन का सीमांकन कराया गया और ना ही अधिकारियों ने इस पर ध्यान दिया। हैरत की बात तो यह भी है कि बिल्डर को जिस स्थान की अनुमति दी गई इस स्थान की अनुमति उसने 2009 में टाउन एंड कंट्री विभाग से पहले ही पास कर ली थी और उसे समय बिल्डर को 50 से 60 प्लांट नगर और ग्राम निवेश यानि टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के द्वारा बेचने की अनुमति दी गई थी। 2009 से 2015 के बीच बिल्डर ने 25 से 30 प्लांट बेच भी दिए। लेकिन एक बार फिर 2022 में पूरे खसरे नंबर की संपूर्ण भूमि पर टाउन एंड कंट्री विभाग से पुन परमिशन मांगी गई और विभाग ने दे भी दी। इस परमिशन में बोटैनिकल गार्डन के क्षेत्रफल को बिना विकास योजना की भूमि उपयोग के सीमांकन किये निम्न घनत्वीय आवासीय उपयोग क्षेत्र में जोड़ दिया गया जिससे प्लाटों का क्षेत्रफल ज्यादा हो गया।
नियमों का खुला उल्लंघन
इस पूरी प्रक्रिया में भोज वेटलैंड के नियमों का भी साफ तौर पर उल्लंघन हुआ। इसके साथ ही इस कॉलोनी के पास वन विहार स्थित होने के चलते इको सेंसेटिव जोन के नियमों का भी उल्लंघन बिल्डर के द्वारा किया गया है। बड़े तालाब के कैचमेंट एरिया में निर्माण प्रतिबंधित होने के बाद भी बिल्डर ने यह सब निर्माण जारी रखें। हैरत की बात यह रही कि 2022 में जिस विजय कुमार अग्रवाल के नाम से पुन: अनुमति के लिए आवेदन प्रेषित किया गया उनकी मृत्यु 2018 में ही हो चुकी थी।अब इस मामले में EOW ने संज्ञान लिया है और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग को इस मामले से संबंधित सारे तथ्य प्रस्तुत करने के लिए 10 दिन का समय दिया है।
यह पहला मौका नहीं जब राजधानी भोपाल में नियमों का उल्लंघन कर बिल्डरों द्वारा इस तरह के कारनामे किये जा रहे हैं। लेकिन एक मृत व्यक्ति के नाम पर आखिरकार अनुमति कैसे दे दी गई, यह सवाल कहीं ना कहीं टी एंड सीपी विभाग के अधिकारियों को कटघरे में खड़ा कर रहा है।