अपने बयान को लेकर फिर सुर्खियों में बीजेपी विधायक बालमुकुंद आचार्य, कहा ‘मुग़लों के डर से रात में होने लगी शादी की रस्में’

उन्होंने कहा कि पुराने समय में सूर्य को साक्षी मानकर हमारे यहाँ धार्मिक आयोजन हुआ करते थे, जिसमें विवाह, फेरे इत्यादि शामिल हैं। इतिहास के जानकारों को अच्छे से पता है कि रात में फेरे होने का कारण क्या है। विधायक ने कहा कि हमारे पाठ्यक्रमों में हमारी संस्कृति, हमारी विरासत, हमारा अध्यात्म और महान व्यक्तित्वों की चर्चा और जानकारी होनी चाहिए।

BJP

BJP MLA Balmukund Acharya in news again : राजस्थान में जयपुर के हवामहल से बीजेपी विधायक बालमुकुंद आचार्य एक बार फिर चर्चाओं में हैं। इस बार उन्होंने कहा है कि हमारी सनातन परंपरा में रात में विवाह संस्कार नहीं होते थे। हमारे यहाँ सूर्य को साक्षी मानकर सारे धार्मिक कार्य किए जाते थे लेकिन मुग़लों से अपनी बहन-बेटियों को बचाने के लिए रात में शादी की जाने लगी। इसी के साथ उन्होंने कहा है कि मुग़ल राजाओं के नाम पर सड़कों और शहरों के नाम भी नहीं रखे जाने चाहिए। भाजपा विधायक ने देश के सभी शिक्षा मंत्रियों से अपील की कि इतिहास के अध्ययन में हमारे अपने नायकों को सम्मिलित किया जाए।

रात में शादी होने के पीछे बताया ये कारण

उन्होंने कहा कि कांग्रेस का पाकिस्तान प्रेम और जिन्ना का भूत निकल नहीं रहा है। इन्होंने इसे कई बार दर्शाया है। कांग्रेस नेता पाकिस्तान जाते हैं और वहाँ हिंदुस्तान की बुराई करते हैं, विदेशों में जाकर हिंदुस्तान के बारे में ऊटपटाँग बोलते हैं। मेरा मानना है कि जितने भी बाहर के राजा आए थे वो आक्रमणकारी थे और उन्होंने भारत को लूटा है। बहुत सारी परंपराएँ ऐसी हैं जो इनकी वजह से प्रारंभ हुई है। जैसे पुराने समय में सूर्य को साक्षी मानकर हमारे यहाँ धार्मिक आयोजन हुआ करते थे, जिसमें विवाह, फेरे इत्यादि शामिल हैं। इतिहास के जानकारों को अच्छे से पता है कि रात में फेरे होने का कारण क्या है। मुग़ल आए और उन्होंने हमारी बहन बेटियों को उठाना प्रारंभ किया। हमारी बहन बेटियों को बचाने के लिए विवाह की पद्धति रात में शुरु की गई। उनके कारण हमें अपने रीति रिवाज में भी परिवर्तन करना पड़ा। ऐसे लोगों की तो हमारे देश में चर्चा, मूर्ति या नाम होना ही नहीं चाहिए।

इतिहास अध्ययन में भारतीय नायकों को शामिल किया जाए

उन्होंने कहा कि मुग़लों का इतिहास सबको बता है। यहाँ राजपाट के लिए बेटा अपने पिता को, भतीजा चाचा को जेल भेजकर या मारकर गद्दी पर बैठे थे। ये आततायियों का स्वभाव रहा है। इनको हम महान किस रूप में देख सकते हैं। इनका काम सिर्फ़ लूटना खसोटना और व्याभिचार करना रहा है। ऐसे विदेशी आतंकियों का अध्ययन करना या इनको महान बताना, मैं इसके पक्ष में नहीं हूँ। ऐसे लोगों के नामों पर को किसी मार्ग का नाम भी नहीं होना चाहिए। भारतीय संस्कृति में हमारे पूर्वजों का इतिहास हो और उनके नाम पर ही मार्ग और शहरों के नाम हों। ऐसे दुराचारी लोगों की चर्चा भी नहीं होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकारों में कहा जाता था कि अकबर महान है। जिसने भारत को लूटा, क़ब्ज़ा किया, राज किया..उसे महान कैसे कहा जा सकता है। महान को महाराणा प्रताप हैं, शिवाजी महाराज हैं जिन्होंने अपनी मातृभूमि को बचाने के लिए अपने प्राण भी न्योछावर कर दिए। हमारे अपने पूर्वज महान हैं और हमारे पाठ्यक्रमों में हमारी संस्कृति, हमारी विरासत, हमारा अध्यात्म और महान व्यक्तित्वों की चर्चा और जानकारी हो। उन्होंने कहा मैं निवेदन करूँगा कि पूरे भारतवर्ष में जितने शिक्षामंत्री हैं, जो शिक्षा से संबंधित लोग हैं उन सबको हमारे पूर्वजों का इतिहास अध्ययन में शामिल करना चाहिए ताकि नई पीढ़ी हमारे सही इतिहास को जान सकें।

 


About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

Other Latest News