भोपाल| मध्य प्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस सरकार बनाने जा रही है| बीजेपी के 15 साल के विजय रथ को रोकने में कांग्रेस कामयाब रही| चुनाव से महीने पहले तक ऐसी स्तिथि नहीं थी कि कांग्रेस सरकार बना पायेगी| लेकिन बीजेपी के सबसे मजबूत गढ़ में कांग्रेस ने सेंध लगा दी और ग्रामीण क्षेत्रों में जबरदस्त पटखनी देते कांग्रेस ने भाजपा की सीटों पर कब्जा जमाया है| पूरे चुनाव में दोनों ही पार्टियों का फोकस मालवा निमाड़ पर था कि यही वो क्षेत्र हैं जहां से सत्ता की राह निकलती है| जो यहां मजबूत हुआ वही सरकार बनाने में कामयाब रहा| कभी भाजपा का गढ़ माने जाने वाला यह क्षेत्र कांग्रेस के लिए संजीवनी बना और सत्ता तक पहुँचाया| आइये जानते हैं कैसे और कहा भाजपा को नुकसान हुआ और कांग्रेस मजबूत हुई|
मालवा निमाड़ की में उलटफेर की गाथा एक साल पहले ही किसान आंदोलन और मंदसौर गोल���कांड के दौरान लिखा चुकी थी| क्यूंकि यहां यहाँ किसान सबसे अधिक नाराज था, जिसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ा| यहां की 66 विधानसभा सीटों में से 56 पर पिछले चुनाव में भाजपा को जीत मिली थी। जबकि कांग्रेस को सिर्फ 9 सीटें ही हासिल हुईं थी। लेकिन इस बार कांग्रेस को यहां 35 सीटें मिली| कांग्रेस को शहरी इलाकों में 5 सीटों का और ग्रामीण क्षेत्रों में 21 सीटों का फायदा हुआ. जो चुनाव में गेम चेंजर साबित हुआ|
मध्य प्रदेश में पिछले एक साथ राजनीती का केंद्र रहे मंदसौर से ही कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी ने चुनाव अभियान का शंखनाद किया| यही उन्होंने कर्जमाफी की घोषणा की| जो काम कर गई| भाजपा की कोर टीम मालवा-निमाड़ की नब्ज को नहीं पकड़ पाई, जबकि इसी क्षेत्र (उज्जैन) से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी चुनावी रैली शुरू की थी। बाद में शिवराज सिंह चौहान और कैलाश विजयवर्गीय ने भी खासी सक्रियता दिखाई। यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सभा की| वहीं मालवा-निमाड़ संघ का भी गढ़ माना जाता है| आंकड़े कहते हैं कि 2013 के चुनाव के मुकाबले भाजपा ने मालवा-निमाड़ के शहरी क्षेत्र में 34 और ग्रामीण में 24 सीटें गंवाईं। इसी कारण उसके हाथ से सत्ता निकल गई। पूरे मप्र में कांग्रेस को शहर में 33 और गांव में 24 सीटों का फायदा मिला। पिछले चुनाव में भाजपा को एक तिहाई सीटें मालवा-निमाड़ से ही मिली थीं। शहरी क्षेत्र की बात करें तो इस बार बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ| इसके अलावा खरगोन और बुरहानपुर जिले में तो भाजपा पूरी तरह साफ हो गई।
ग्वालियर चम्बल में भाजपा को नुकसान, विंध्य में कांग्रेस खा गई झटका
मालवा निमाड़ के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी भाजपा को निकसान उठाना पड़ा है| महाकौशल में भाजपा को 12 सीटों का नुकसान हुआ, इसमें 11 शहरी क्षेत्रों की हैं। वहीं ग्वालियर-चंबल में भाजपा 20 सीटों से सिमटकर 7 पर रह गईं। इसके अलावा बुंदेलखंड में भाजपा की 20 सीटें थी जो अब 14 रह गईं हैं। हालाँकि विंध्य में कांग्रेस का जादू नहीं चला| यहां भाजपा ने दस साल पुराने प्रदर्शन को दोहराया और 24 सीटें जीत गई। कांग्रेस को बड़ा नुकसान रीवा-सीधी व सतना में हुआ।
15 जिलों की 66 सीटें, हर बार रहता है फोकस
मालवा-निमाड़ के 15 जिले विधानसभा सीटों पर अपना प्रभाव रखते हैं। इनमें आलीराजपुर, देवास, धार, इंदौर, झाबुआ, मंदसौर, नीमच, रतलाम, शाजापुर, उज्जैन, बड़वानी, खंडवा, खरगोन और बुरहानपुर शामिल है। बीते कई सालों से मालवा निमाड़ में भाजपा का कब्जा रहा है। यहां की 66 विधानसभा सीटों में से 57 पर पिछले चुनाव में भाजपा को जीत मिली थी। जबकि कांग्रेस को सिर्फ 9 सीटें ही हासिल हुईं थी। लेकिन मंदसौर कांड के बाद से भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर ने मुश्किलें बढ़ाई, इसलिए इस बार भाजपा को यहां ख़तरा रहा, वहीं कांग्रेस ने भी पूरी ताकत झोंक दी| यह क्षेत्र राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गढ़ रहा है। मंदसौर में किसान गोलीकांड की बरसी पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा सरकार बनने पर दस दिन में कर्जमाफ करने के एलान के बाद से किसानों का रुख बदल गया था, लेकिन भाजपा इसे भांप नहीं पाई और सबसे मजबूत गढ़ हाथ से निकल गया|