सरकार ने खत्म किया महापौर और अध्यक्ष को वापस बुलाने का अधिकार

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भोपाल। मध्य प्रदेश में 20 साल बाद नगरिय निकाय चुनाव की प्रक्रिया में बड़ा बदाव कमलनाथ सरकार द्वारा किया गया है। प्रदेश भर में निकाय चुनाव में महापौर का चयन पार्षदों द्वारा ही किया जाएगा। कैबिनेट के फैसले के बाद सरकार ने नगर पालिका अधिनियम में संशोधन की अधिसूचना जारी की है। जिससे यह साप हो गया है कि महापौर और सभापति का चुनाव निर्वाचित पार्षद ही करेंगे। यही नहीं सरकार ने नई नियम के तहत अब महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष को वापस बुलाए जाने की व्यवस्था खत्म कर दी गई है। 

नए नियमों के तहत इस प्रक्रिया की जिम्मेदारी संभागायुक्त या कलेक्टर से लेकर राज्य निर्वाचन आयोग को सौंप दी गई है।इसके लिए धारा 23 विलोपित की है। पहले किसी महापौर या अध्यक्ष से चुने हुए दो तिहाई पार्षद या इससे अधिक संतुष्ट नहीं होते थे तो खाली-भरी कुर्सी के नाम से दोबारा चुनाव की मांग करते थे। इसके जरिए प्रदेश में कुछ अध्यक्षों की कुर्सी भी गई। 

 अब आसान होगा समन्वय बनाना

नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने इस संशोधन पर कहा कि महापौर के सीधे चुनकर आने से पार्षदों में समन्वय कम होता था। इससे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर निर्णय अटके रहते और नगरों का विकास प्रभावित होता। इसको देखते हुए संशोधन प्रस्तावित किया है। 


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