आदिवासियों की जमीन मामले पर सीएम ने संभाला मोर्चा, भाजपा के दावों को बताया अफवाह

भोपाल। मध्य प्रदेश में अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों की जमीन को गैर आदिवासियों को बेचने के मामले ने तूल पकड़ने के बाद अब मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस पर अपना सरकार का रुख स्पष्ठ किया है। सरकार द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि आदिवासियों की जमीन को गैर आदिवासियों को बेचने के का भ्रम फैलाया जा रहा है। सरकार ने इस संबंध में कोई फैसला नहीं किया है। कलेक्टर भी इसकी अनुमति नहीं दे सकते उनके पास भी इसके अधिकार नहीं हैं। प्रदेश में आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को बेचना पूर्ण प्रतिबंध है। 

दरअसल, भाजपा ने इस बारे में सरकार के फैसले का विरोध किया था। भाजपा का कहना था कि भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 165 और 172 के भाग विलोपित कर आदिवासी क्षेत्रों में गैर आदिवासियों को जमीन के डायवर्सन का अधिकार दिये जाने से आदिवासियों के अधिकारों का हनन होगा। इस मामले पर मुख्यमंत्री ने बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि,  यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि मध्यप्रदेश सरकार ने अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को बेचने की अनुमति दे दी है। यह निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा अफवाह फैलायी जा रही है, जो न केवल असत्य है बल्कि आधारहीन है। मध्यप्रदेश में आदिवासियों की जमीन किसी गैर आदिवासी को बेचने की अनुमति नहीं हैं और न ही इस प्रावधान में कोई बदलाव किया गया है। प्रदेश के अनुसूचित आदिवासी क्षेत्रों में भू-राजस्व की संहिता की धारा 165 के अनुसार किसी आदिवासी की जमीन किसी गैर आदिवासी को बेचने पर पूर्ण प्रतिबंध है और‍ जिले के कलेक्टर भी इसकी अनुमति नहीं दे सकते। मध्यप्रदेश सरकार आदिवासियों के समस्त हितों का संरक्षण करने के लिए कटिबद्ध है और ऐसा कोई कदम कभी नहीं उठायेगी जो प्रदेश के आदिवासियों के हित में न हो।


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