तो इस वजह से जा सकता है मंत्री पद, सीएम ने दी मंत्रियों को ये नसीहत

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भोपाल। मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार 15 साल का वनवास काट कर आई है। वह हर कदम फूंक फूंक कर रखना चाहती है। छह महीने बाद लोकसभा चुनाव भी हैं। इन तमाम हालातों को देखते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने मंत्रियों को नसीहत दे दी है। उन्होंने साफ कर दिया है कि अगर किसी भी मंत्री ने कार्यकर्ता और आम जनता को मिलने से रोका तो उनको बाहर करने में देर नहीं लगेगी। सीएम का ये सख्त रवैया मंत्रियों को कई संकेत दे गया। 

मुख्यमंत्री नाथ प्रदेशवासियों को इस बात का पूरा भरोसा जताना चाहते हैं कि सरकार उनकी है। जिससे इसका सीधा फायदा लोकसभा चुनाव में मिले। इसलिए वह अपने मंत्रियों को जमीन से जुड़े रहने और गांव गांव जाकर जनता को यह संदेश देने पर फोकस कर रहे हैं कि कांग्रेस की सरक���र आ चुकी है। और अब प्रदेश में विकास का एक नया अध्याय लिखा जाएगा। उनकी सख्ती इस ओर इशारा करती है कि वह किसी भी हाल में मंत्रियों का ढीला रवैया और अफसरों की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह बातें सीएम ने पहली अनौपचारिक बैठक में कहीं हैं। इस बैठक से यह भी साफ हो गया कि कांग्रेस में दिग्विजय सिंह का सिक्का अभी भी चल रहा है। 

अपनी पहली ही मुलाकात में कमलनाथ ने यह साफ कर दिया है कि वह सख्त सीएम हैं। नाथ के बारे में कहा जाता है कि वह आदमी देखकर उसकी काबिलियत बता देते हैं। यही कारण है उन्होंने अपनी टीम में भी एक से बढ़ कर एक रत्न तलाशे हैं। युवाओं से लेकर अनुभवी और तेज तर्रार विधायकों को अपनी कैबिनेट में शामिल किया है। उन्होंने इस बात के भी संकेत अपने मंत्रियोंं को दे दिए हैं कि उन्हें किसी पॉलिटिकल प्रेशर से प्रभावित नहीं किया जा सकता। वे सिर्फ काम करने वालों को ही तवज्जौ देंगे, उन्हें न किसी नेता की लाइन छोटी करनी और न ही किसी को अहमियत से ज्यादा आंकना है। पहली कैबिनेट में 2019 के आम चुनाव को ध्यान में रखते हुए चुनावी समीकरण तय किए गए हैं। कांग्रेस ने 18 से ज्यादा ज़िलों पर फोकस किया है, जहां से वे लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर सकें।


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