बेटे की शादी समारोह के बीच मोदी की गारंटी को जमीन पर उतारने में लगे CM मोहन यादव, 3 दिन में 5 जिलों को अरबों की सौगात

शनिवार को मुख्यमंत्री के बड़े बेटे की शादी राजस्थान के पुष्कर में होने जा रही है। ये एक सादगीपूर्ण समारोह होगा। घर में इतने बड़े आयोजन के बावजूद सीएम मोहन लगातार प्रदेश में दौरा कर रहे हैं और विभिन्न कार्यों में लगे हुए हैं। शादी से ठीक एक दिन पहले शुक्रवार को भी वो लोगों के बीच पहुंचे।

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CM Mohan Yadav son’s wedding : मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के बड़े बेटे की शादी शनिवार को होने जा रही है। राजस्थान के पुष्कर में बेहद सादगी के साथ ये शादी समारोह का आयोजन संपन्न होगा। परिवार में शादी के बीच मुख्यमंत्री मोहन यादव लगातार प्रदेश का दौरा कर रहे हैं और पिछले तीन दिनों में अरबो रुपए की सौगात प्रदेश की जनता को दे चुके हैं।

शनिवार को है सीएम मोहन यादव के बेटे की शादी

घर में बड़े बेटे की शादी हो..नए सदस्य यानी पुत्रवधू के रूप में लक्ष्मी के आगमन की खुशखबरी आने वाली हो, इससे ज्यादा खुशी का क्षण किसी भी माता पिता के लिए और क्या हो सकता है। लेकिन जब जिम्मेदारी प्रदेश की 8.5 करोड़ जनता की हो और मन में भाव हो देश के प्रधान सेवक यानी PM नरेंद्र मोदी की गारंटी को पूरा करने का तो फिर शायद किसी गरीब और निर्बल वर्ग की खुशियां ज्यादा महत्वपूर्ण दिखाई देती है। यह संदर्भ है मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के बारे में..जिनके बड़े बेटे की शादी शनिवार को होने जा रही है। जाहिर सी बात है कि सनातन धर्म में शादी समारोह में कई रीतियां और प्रथाएं ऐसी होती हैं जिन्हें पूरा करने के लिए पूरे परिवार का एकजुट रहना जरुरी होता है। लेकिन सीएम मोहन यादव की बात की जाए तो शादी समारोह से ठीक एक दिन शुक्रवार को भी वे लगातार जनता के बीच जा रहे हैं।

खुद को बताया मुख्य सेवक

अगर पिछले तीन दिनों की बात करें तो वह पांच जिलों में लगातार गए हैं और अरबो रुपए की जनहितैषी योजनाओं का लोकार्पण और घोषणाए की हैं। अपने हर भाषण में यह भी दोहराया है कि अब देश के अंदर सर्वस्पर्शी, समावेशी सरकार है..नरेंद्र मोदी की सरकार जिनका भाव अब देश के हर वर्ग को खुशहाल और संपन्न बनाना है और इसके लिए प्राणपण से सरकार जुटी है। बालाघाट में तो मुख्यमंत्री ने बुधवार को यह तक कह दिया कि वह मुख्यमंत्री केवल संवैधानिक दायित्व के हैं, वास्तव में वे मुख्य सेवक हैं क्योंकि जब देश के प्रधानमंत्री खुद को प्रधान सेवक कहते हैं तो मुख्यमंत्री भी मुख्य सेवक ही है।

लगातार काम कर रहे हैं मुख्यमंत्री

पिछले दो महीने की बात करें तो मुख्यमंत्री बनने के बाद शायद ही कोई ऐसा दिन गया होगा जब मुख्यमंत्री ने कोई ऐसा बड़ा निर्णय या फैसला ना लिया हो जो जनता के हित से न जुड़ा हो। फिर चाहे वह किसानों को लेकर नामांतरण की समय सीमा निर्धारित करने की बात हो या उनके वर्षों से लंबित मामलों को निपटने की। महिलाओं को प्रधानमंत्री की मंशा के अनुरूप लखपति बहना बनाने की या लगातार कई सालों से विभिन्न कानूनी पचड़ों में फंसी हुई सरकारी नियुक्तियों को एक साथ क्लीयरेंस देकर युवाओं को रोजगार देने की। समाज के हर वर्ग को स्पर्श करने की कोशिश मुख्यमंत्री ने की है और काफी हद तक वे भी सफल भी हुए हैं। सरकार के निर्णय मुख्यमंत्री के नेतृत्व में धीरे-धीरे जनता के दिल में जगह बनाते जा रहे हैं और यह भाव नई सरकार की मजबूती और स्थिरता के लिए एक अहम संकेत है।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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