भोपाल। मध्य प्रदेश समेत तीन हिंदी पट्टी के विधानसभा चुनाव में जीत का परचम लहराने के बाद कांग्रेस की नजरे अब लोकसभा चुनाव पर टिकी हैं। पार्टी प्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले बड़े बदलाव करना चाहती है जिससे उसे लोकसभा चुनाव में भी फायदा मिल सके। वहीं, बीजेपी भी अपनी हार से चिंतित नजर आ रही है। बीजेपी का मुकाबला इस बार सिर्फ कांग्रेस से नहीं बल्की पूरे विपक्ष से है। मध्य प्रदेश में मिली हार के बाद पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल फिलहाल बहुत लड़खड़ा गया है। वहीं, कांग्रेस कार्यकर्ताओं को 15 साल बाद मिली जीत से संजीवनी मिल गई है। उनमें एक अलग तरह का जोश और उत्साह देखने को मिल रहा है।
विधानसभा चुनाव का शोर थमते ही अब लोकसभा चुनाव के लिए नगाड़े बजना शुरू हो गए हैं। मार्च के पहले हफ्ते में ही आचार संहिता लागू होने का आशंका है। उससे पहले प्रदेश कांग्रेस के सामने किसानों का कर्ज बैंक को चुकाने की बड़ी चुनौती है। पार्टी जल्द से जल्द रकम बैंक में जमा कर किसानों का बड़ा तबका अपनी ओर करना चाहती है। वहीं, भाजपा की साख लोकसभा चुनाव में दांव पर लगी है। पार्टी विधानसभा चुनाव हार के बाद इस बात का दावा कर रही है कि वह 29 सीटों पर लोकसभा में जीत हासिल करेगी। फिलहाल बीजेपी का 26 सीटों पर कब्जा है।
कांग्रेस के लिए गठबंधन चुनौती
कांग्रेस के लिए गठबंधन करना सबसे बड़ी चुनौती है। केंद्र में बीएसपी के साथ कांग्रेस का समर्थन होता है या नहीं इस पर सब निर्भर है। हालांकि, विधानसभा चुनाव में बीएसपी ने दो सीटों पर कांग्रेस को समर्थन दिया है। लेकिन चुनाव पूर्व दोनों दलों के बीच गठबंधन नहीं हो सका था। बीएसपी चाहती है वह अकेले दम पर अधिकाधिक सीटों को हासिल कर लोकसभा में अपना परम लहराए।
कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में रोजगार और कृषि के क्षेत्र में विकास करने का वादा किया है। कांग्रेस के सामने बड़ा पहाड़ अपने वादों को पूरा करना या फिर उसके लिए कदम उठाने का है। जिसना जल्दी कांग्रेस किसानों का कर्ज माफी करने का साथ ही समर्थन मूल्य को बढ़ाएगी उतना ही उसे लोकसभा चुनाव में लाभ मिलेगा। वहीं, मोदी सरकार लोकसभा चुनाव से पहले एक बड़ा कदम उठाने वाली है। किसानों को खुश करने मोदी सरकार किसानों को बड़ा तोफहा देगी।
14 सीटों पर बीजेपी को खतरा
विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद भाजपा की जमीन खिसक गई है। उसे अब लोकसभा चुनाव की चिंता सता रही है। पार्टी को 14 लोकसभा सीटों पर अपनी स्थिति खराब होने की खबर मिली है। इसके अलावा वह कांग्रेस के कब्जे वाली तीन लोकसभा सीटों पर भी फोकस कर रही है। वहीं, भितरघातियों से भी बीजेपी को निपटना है। प्रदेश में बीजेपी के पास सिवाए केंद्र सरकार की उपलद्धियों को गिनाने के अलावा कुछ नहीं है। जबकि ऐसा माना जा रहा है कि केंद्र की ही योजनाएं प्रदेश में बीजेपी की हार का कारण बनी हैं। बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय का कहना है कि पीएस मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने कई योजनाओं को लागू किया है। विकास का एजेंडा प्रदर्शन में तब्दील हो गया है और नतीजे सबके सामने हैं। कांग्रेस के पास सिवाए गठबंधन के अलावा कुछ कहने के लिए नहीं है। जबकि केंद्र सरकार ने चौतरफा विकास किया है।
कांग्रेस विंध्य और बीजेपी मालवा निमाड़ पर कर रही फोकस
कांग्रेस के सामने उम्मीदवारों का टोटा पड़ा है। जो उसके जिताउ उम्मीदवार थे उन्हों पार्टी ने विधानसभा चुनाव में उतारा। अब पार्टी ऐसा चेहरों की तलाश में है जो लोकसभा चुनाव में जीत हासिल कर सकें। पार्टी की योजना है कि पूरे राज्य के कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर तक ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को जोड़ने के लिए प्रेरित किया जाए। पार्टी ने अपने संगठनात्मक सेट-अप को पुनर्गठित करने और सभी वर्गों को शामिल करने का फैसला किया है, जिन्हें कैबिनेट गठन के दौरान छोड़ दिया गया था। कांग्रेस विंध्य में अपने प्रदर्शन से खुश नहीं है। वहीं, बीजेपी को मालवा निमाड़ में बड़ा झटका लगा है। दोनों पार्टियां अपने अपने हार वाले क्षेत्रों में मेहनत करना चाहती हैं।
कांग्रेस के राज्य महासचिव (प्रशासन) राजीव सिंह ने कहा “हर कांग्रेस कार्यकर्ता 15 साल की लंबी लड़ाई के बाद ऐतिहासिक जीत से उत्साहित है। पार्टी ने हर धर्म और सुशासन में समानता, विश्वास की नीति का पालन किया है। किए गए वादों को पूरा किया जा रहा है, मुख्यमंत्री पहले दिन ही कृषि ऋण माफ कर रहे हैं। इसमें कोई शक नहीं कि पार्टी हमारी प्रतिद्वंद्वी अपेक्षाओं से कई अधिक सीटें जीतेगी, ”