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Sun, Dec 14, 2025

MP में वोट-चोरी से बनी भाजपा सरकार! कांग्रेस का बड़ा आरोप, उमंग सिंघार ने कहा ’27 सीटों पर हुई 16 लाख वोटों की गड़बड़ी’

Written by:Shruty Kushwaha
नेता प्रतिपक्ष ने दावा किया कि चुनाव से पहले सिर्फ दो महीनों में 16 लाख नए मतदाता जोड़े गए, यानी प्रतिदिन 26,000 नाम बढ़ाए गए। उन्होंने कहा कि जिन 27 सीटों पर कांग्रेस मामूली अंतर से हारी, वहां मतदाताओं की वृद्धि हार के अंतर से कहीं अधिक थी। इसी के साथ उन्होंने फाइनल रोल को फ्रीज़ करने, मशीन-रीडेबल डेटा उपलब्ध और मतदाता सूची में पारदर्शिता लाने जैसी मांगें भी की हैं।
MP में वोट-चोरी से बनी भाजपा सरकार! कांग्रेस का बड़ा आरोप, उमंग सिंघार ने कहा ’27 सीटों पर हुई 16 लाख वोटों की गड़बड़ी’

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मतदाता सूची में ‘व्यापक गड़बड़ी’ और ‘वोट चोरी’ का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग के आदेशों और आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि मध्यप्रदेश में भी बीजेपी को चुनाव में अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए मतदाता सूची में हेराफेरी की गई है।

उन्होंने पत्रकारों को पीपीटी के माध्यम से ये बताया कि मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां हुई थीं..जिनमें मतदाताओं की संख्या में असामान्य वृद्धि, नामों को हटाने के रिकॉर्ड को छिपाना, चुनाव आयोग के विरोधाभासी आदेश और लाखों डुप्लीकेट प्रविष्टियां जैसी गंभीर त्रुटियाँ शामिल हैं। उन्होंने उन 27 सीटों के आंकड़े भी साझा किए जहां कांग्रेस कम अंतर से हारी, लेकिन मतदाता-वृद्धि हार से कहीं ज़्यादा थी और आरोप लगाया कि 16 लाख वोटों के हेरफेर से बीजेपी ने सरकार बनाई है।

उमंग सिंघार का आरोप ‘एमपी में फर्जी तरीके से बनी बीजेपी की सरकार’

उमंग सिंघार ने भोपाल में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि राहुल गांधी जी द्वारा ‘वोट चोरी’ के खुलासे ने देश को झकझोर दिया है। मध्यप्रदेश भी इस सुनियोजित चुनावी षड्यंत्र का बड़ा शिकार है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग की मिलीभगत से केंद्र और राज्यों में सरकार बनी है। उन्होंने कहा कि ‘वोट चोरी के माध्यम से फर्जी जनादेश लेकर मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने सरकार बनाई। चुनाव आयोग ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाने में भूमिका निभाई। मतदाता सूचियां देने में चुनाव आयोग गड़बड़ी करता है।’

कांग्रेस ने प्रस्तुत किए आंकड़े

उमंग सिंघार ने मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर दावा करते हुए कहा कि बीजेपी ने ये चुनाव धांधली करके जीता है। उन्होंने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि:

  • 05 जनवरी – 02 अगस्त (7 महीने) के दौरान मतदाताओं में लगभग 4.64 लाख की वृद्धि दर्ज हुई।
  • 02 अगस्त – 04 अक्टूबर (2 महीने) में 16.05 लाख मतदाताओं की वृद्धि
    यानी प्रतिदिन 26,000 मतदाता जोड़े जा रहे थे
  • चुनावी साल 2023 में मध्य प्रदेश में 34+ लाख नाम जोड़े गए। आख़िर के दो माह में हर रोज़ 26 हज़ार वोट जोड़े गए, टोटल 16 लाख वोट जोड़े गए।
  • 2018 के चुनाव में भाजपा को कांग्रेस से 1% से ज्यादा वोट मिले थे। लेकिन 2023 में यह बढ़ कर 8-9% हो गया।
  • उन्होंने आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश में लगभग 8-9% वोट की चोरी हुई।
  • 35 ऐसी सीट जहां जीत का फ़ासला कम है वहाँ उससे ज्यादा वोट जोड़े गए।

ECI का आदेश

उमंग सिंघार ने कहा कि 9 जून 2023 को भारत निर्वाचन आयोग ने छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, मिज़ोरम, राजस्थान और तेलंगाना के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिया कि 1 जनवरी 2023 से 30 जून 2023 के बीच हुए जोड़-घटाव और संशोधनों को वेबसाइट पर प्रकाशित न किया जाए और न ही किसी के साथ साझा किया जाए। राष्ट्रीय दायरा प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गया कि यह निर्देश उसी दिन पूरे देश के सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों पर लागू कर दिया गया।

नकली/डुप्लीकेट प्रविष्टियां

उन्होंने कहा किनकली/डुप्लीकेट प्रविष्टियां मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग के 2 दिसंबर 2022 के आदेश के अनुसार जिलों को 8,51,564 (PSE और DSE) नकली/डुप्लीकेट प्रविष्टियां हटाने के निर्देश दिये गये थे। किसी भी जिला अधिकारी ने हटाने की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की। RTI के माध्यम से भी सम्बन्धित डेटा उपलब्ध नहीं कराया गया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गया कि ‘गरुड़ा ऐप’ का स्रोत-डेटा RTI में मांगने के बावजूद छिपाया गया है।

CEO वेबसाइट के व्यवहार पर उठाए सवाल

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जब मतदाता सूची की गड़बड़ी के आरोप उठते हैं तब मध्यप्रदेश के CEO की वेबसाइट अचानक बंद दिखा देती है या “Website Under Maintenance” आ जाता है। उन्होंने सवाल किया कि क्या यह तकनीकी समस्या है या पारदर्शिता टालने की जानबूझकर कोशिश की जाती है।

कांग्रेस नेता ने की ये मांगें

उमंग सिंघार ने ये सारे आरोप लगाने के साथ अपनी कुछ मांगें भी रखी हैं। उन्होंने मांग की है कि:

  • फ़ाइनल रोल को फ़्रीज़ किया जाए: अंतिम प्रकाशित रोल पर सभी राजनीतिक दलों के हस्ताक्षर लिये जायें और चुनाव पूरा होने तक किसी भी बदलाव पर रोक लगाई जाए।
  • मशीन-रीडेबल फॉर्मैट में पूरा डेटा जारी हो:  PDF इमेज की जगह CSV/Excel उपलब्ध कराये जायें ताकि स्वतंत्र जाँच संभव हो।
  • प्रत्येक प्रविष्टि के साथ फ़ोटो प्रकाशित हो: डुप्लीकेट, मृतक या फर्जी प्रविष्टियों की पहचान आसान हो।
  • पूरा संशोधन-लॉग सार्वजनिक हो: Form 9, 10, 11 सहित हर संशोधन का समयबद्ध लॉग और PSE/DSE की सूची प्रकाशित की जाए।