भोपाल।
झाबुआ से बीजेपी विधायक जीएस डामोर के रतलाम-झाबुआ सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने और जीतने के बाद कांग्रेस की फ्लोर टेस्ट की राह आसान हो गई है।चुंकी सांसद बनने के बाद उन्हें विधायक पद से इस्तीफा देना होगा, जो कि कांग्रेस को मजबूत करने के लिए अहम कदम होगा।डामोर के इस्तीफे देने के बाद 230 सदस्यों वाली विधानसभा में 229 सदस्य बचेंगे । ऐसे हालात में कांग्रेस सरकार को बाहर से किसी के समर्थन की जरूरत नहीं पड़ेगी। वह 115 विधायकों के साथ बहुमत में होगी।हालांकि उपचुनाव होने के बाद स्थिति मे बदलाव आ सकता है,लेकिन तब तक कांग्रेस मजबूती में रहेगी।
दरअसल,छह महिने पहले हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी के 109 और कांग्रेस के 114 विधायक जीते थे। इसके बाद कांग्रेस ने सपा, बसपा और निर्दलीयों के समर्थन से 121 विधायकों का बहुमत साबित कर सरकार बना ली थी।लेकिन हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने झाबुआ से विधायक जीएस डामोर को रतलाम-झाबुआ सीट से लोकसभा चुनाव लड़वाया और वे जीत गए। इसी के साथ डामोर के विधायक के पद से इस्तीफा देते ही झाबुआ विधानसभा सीट खाली हो जाएगी। ऐसे में यदि डामोर लोकसभा की सदस्यता लेते हैं तो मप्र विधानसभा में भाजपा की संख्या कम हो कर 108 रह जाएगी। जो कि कांग्रेस के लिए बड़ी मजबूती साबित होगी। चुंकी हाल ही में बीजेपी ने कांग्रेस को फिर से फ्लोर टेस्ट करने की चुनौती दी है, जिसे कांग्रेस ने स्वीकार भी कर लिया है। अब वह दिन कांग्रेस के लिए राहत भरा होगा, जब डमोर इस्तीफा देंगें, क्योंकि उनके इस्तीफा देते ही 230 सदस्यों वाली विधानसभा में 229 सदस्य बचेंगे। ऐसे में स्पष्ट बहुमत साबित करने के लिए कांग्रेस सरकार को बाहर से किसी के समर्थन की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि कांग्रेस के पास 114 खुद के विधायक है वही निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल के कैबिनेट में है, जिसके कारण कांग्रेस के पास विधायकों की पर्याप्त संख्या है। वह 115 विधायकों के साथ बहुमत में होगी ।
अब डामोर को विधानसभा या लोकसभा में से एक सदन को चुनने का फैसला 14 दिन में लेना होगा यानी इस अवधि में उन्हें विधानसभा से त्यागपत्र देना होगा, तब वे लोकसभा में शपथ ग्रहण कर पाएंगे।हालांकि डामोर से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसका फैसला पार्टी आलाकमान करेगी।अगर डामोर विधायक बने रहते है या फिर इस्तीफा देकर सांसद बनते है तो कांग्रेस एक बार फिर संसदीय या विधानसभा सीट पर काबिज होने का मौका मिल जाएगा।
इनका क्या कहना
जब उन्हें लोकसभा चुनाव लड़वाया है तो पार्टी उनका उपयोग संसद में ही करेगी। अभी 14 दिन का वक्त है। सारे तकनीकी पक्ष पर विचार करने के बाद इस बारे में पार्टी फैसला लेगी।
राकेश सिंह, प्रदेशाध्यक्ष , बीजेपी, मप्र
रतलाम-झाबुआ संसदीय सीट जीतकर सांसद बने जीएस डामोर, झाबुआ सीट से विधायक भी हैं। उनके एक पद छोड़ने को लेकर संगठन विचार कर रहा है। अंतिम फैसला 30 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण के बाद सामने आएगा।
लोकेंद्र पाराशर, प्रदेश मीडिया प्रभारी, भाजपा
दिल्ली में पीएम मोदी से एक बार मुलाकात हो चुकी है। सांसद और विधायक में से कौन सा पद छोड़ना है, इसका फैसला संगठन लेगा। जैसा आदेश मिलेगा उसके मुताबिक आगे कदम बढाएंगे।
जीएस डामोर, नवनिर्वाचित सांसद