भोपाल| मध्यप्रदेश की कृषि उपज मंडियों में कांग्रेस द्वारा सत्ता में आने पर किसानों का दो लाख रू तक का कर्ज माफ करने के नारे का असर साफ दिखाई दे रहा है। दरअसल कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी सार्वजनिक रूप से घोषणा कर चुके हैं कि यदि कांग्रेस सत्ता में आई तो किसानों के कर्ज माफ करेगी और इसके बाद में कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में भी इसे शामिल किया है| जिसके चलते अब किसान मंडियों में धान कम ला रहे हैं।
धान का विपणन करने वाली प्रमुख संस्था मार्कफेड ने पिछले साल 24 नवंबर तक 71 हजार मीट्रिक टन धान का उपार्जन किया था जो इस बार मात्र 11 हजार मीट्रिक टन हो पाया है। इसका प्रमुख कारण है कि जब किसान अपनी धान बेचता है तो उसे मिलने वाली राशि सीधे उसके खाते में चली जाती है और सहकारी बैंक उसके खाते में आई हुई राशि में से किसान पर जो कर्ज बकाया होता है उसे काटकर शेष राशि किसान को अदा कर सकते हैं।
किसान जानते हैं कि अगर एक बार राशि खाते में चली गई तो बैंक फिर उसमें से बकाया राशि काट लेंगे इसीलिए कुछ जानबूझकर माल मंडी में नहीं ला रहे और उन्हें इंतजार इस बात का है कि यदि सत्ता परिवर्तन होता है तो उनका कर्जा माफ हो जाएगा।