Madhya Pradesh : निकाय चुनाव में नए प्लान के साथ मैदान में उतरेगी कांग्रेस

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में हुए उप-चुनाव (By-election) के बाद अब राजनीतिक दलों (Political Parties) की अगली परीक्षा (Exam) निकाय चुनाव (Body Election) है। 28 सीटों पर हुए उप-चुनाव में कांग्रेस पार्टी (Congress Party) को मिली करारी हार के बाद नगरीय निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस अब अपनी रणनीति (Strategy) में बड़ा बदलाव करने जा रही है।

खबर है कि जिन मुद्दों को लेकर कांग्रेस उप-चुनाव में जनता के बीच उतरी थी, उन मुद्दों को जनता ने सिरे से नकार दिया था। ऐसे में अब निकाय चुनाव में उसे कांग्रेस आगे भुनाने की कोशिश बिल्कुल भी नहीं करेगी। उप-चुनाव में जिन मुद्दों को लेकर कांग्रेस मैदान में उतरी उन मुद्दों ने जनता पर कोई भी प्रभाव नहीं डाला। यह तय माना जा रहा है कि निकाय चुनाव में दल बदल और टिकाऊ-बिकाऊ जैसे शब्दों का कांग्रेस इस्तेमाल दोबारा नहीं करेगी। ऐसे में अब कांग्रेस (Congress) का फोकस जमीनी मुद्दों पर अधिक रहने वाला है। ऐसे में बीजेपी को घेरने के लिए कांग्रेस अब हर क्षेत्र के हिसाब मुद्दे तलाश करने में जुटी हुई है।

उप चुनाव में मिली हार के बाद निकाय चुनाव में कांग्रेस मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार (Shivraj Government) को घेरने के लिए अब नया प्लान तैयार कर रही है। कांग्रेस के इस नए प्लान में इस बार मुद्दे भी नए ही होंगे। निकाय चुनाव में कांग्रेस का पूरा जोर जनता से जुड़े मुद्दों पर रहने वाला है। जिसमे किसानों (Farmers) की समस्या, अतिथि विद्वानों और संविदा कर्मियों (Contract Workers) का नियमितिकरण और आम जनता को के लिए सस्ती बिजली जैसे मुद्दे अहम रहेंगे। कुल मिलाकर जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर इस बार कांग्रेस सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश में है।

उप-चुनाव के बाद अब कांग्रेस के लिए निकाय चुनाव बड़ी चुनौती है। अगर पार्टी इस चुनाव (Election) में बेहतर परिणाम लाती है तभी वह 2023 में होने वाले विधानसभा के चुनाव में बीजेपी को टक्कर दे पाएगी। वहीं दूसरी ओर निकाय चुनाव पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल पर भी काफी असर डालेंगे। अगर निकाय चुनाव में परिणाम कांग्रेस के लिए नकारात्मक आते है तो इससे कार्यकर्ताओं का बचा हुआ मनोबल भी टूट जाएगा। जो 2023 के चुनाव को देखते हुए कांग्रेस के लिए मुसीबत का सबक साबित हो सकता है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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