निशा बांगरे ने लिखा राष्ट्रपति को पत्र, मप्र विधानसभा चुनाव लड़ने की जताई इच्छा, जल्द इस्तीफा स्वीकार करने की मांग

Nisha Bangre Wrote a letter to President : छतरपुर जिले में पदस्थ रही तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे एक बार फिर चर्चाओं में है। निशा बांगरे ने एक बार विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। इसके लिए बकायदा उन्होंने एक वीडियो संदेश प्रसारित कर विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की है और साथ ही चेतावनी दी है कि यदि द्वेषपूर्ण भावना से मेरा नामांकन खारिज किया जाता है या मेरा इस्तीफा अस्वीकार कर चुनाव लड़ने से रोका जाता है तो वे आमरण अनशन कर अपने प्राण त्याग देंगी।वही निशा ने राष्ट्रपति द्रौपति मुर्मु को पत्र लिखा है और जल्द इस्तीफा स्वीकार करने की मांग की है। वही मप्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए है।

निशा बांगरे ने पत्र में लिखा है कि मैं जब तक डिप्टी कलेक्टर के पद पर रही, संपूर्ण कर्तव्य निष्ठा के साथ मैंने अपने पदीय दायित्वों का निर्वहन किया। 05 वर्ष के कार्यकाल में कभी कोई नोटिस या जाँच नहीं चालू की गई थी परंतु विगत 03 माह से मप्र शासन का सामान्य प्रशासन विभाग द्वेषपूर्ण कार्यवाही कर रहा है, मेरे त्यागपत्र देने के बाद भी बैक डेट का नोटिस निकालकर कार्यवाही कर रहा है, जिससे मैं मानसिक और आर्थिक दोनों तरीके से अत्यंत परेशान हूँ।मैंने अपने घर के उद्घाटन में सर्वधर्म प्रार्थना रखी थी, जिसमें भगवान बुद्ध की अस्थियों को दर्शनार्थ रखा गया था जिसके दर्शन करना मेरा धार्मिक मौलिक अधिकार है , परंतु सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा आचरण नियम का हवाला देकर मुझे अपने ही घर में अपनी धार्मिक भावना के अनुरूप सर्वधर्म प्रार्थना करने तथा भगवान कुछ की पवित्र अस्थियों के दर्शन करने से रोकने के लिए पत्र जारी किया गया।

मुझे कारण बताओ नोटिस जारी किया गया

पत्र में आगे लिखा है कि उक्त पत्र के प्राप्त ‘ होने के तत्काल पश्चात मैने उसी दिन दि. 22 जून, 2020 को ही अपने डिप्टी कलेक्टर के पद से त्यागपत्र दे दिया।(ई-मेल के माध्यम से 22 जून 2023 को ही सामान्य प्रशासन विभाग को प्राप्त हो चुका था।) त्याग पत्र दिया ही इसीलिए था कि मैं अपने धार्मिक मौलिक अधिकारों को प्राप्त कर सकूँ परंतु कलेक्टर, बैतूल की रिपोर्टिग अनुसार सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 22 जून 2023 का ही कारण बताओ नोटिस जारी कर (जो पत्र मुझे 04 जुलाई 2003 द्वारा Whatsapp message मे प्राप्त हुआ)  बेक डेट में (जो कि मेरा त्याग-पत्र का ही दिनांक है, का back date 22 जून, 2023) पत्र जारी कर मुझे मानसिक प्रताड़ना दी जा रही हैं।

अबतक त्याग पत्र स्वीकार नहीं किया गया

22 जून, 2023 को दिए गए त्याग-पत्र को शासन के नियमानुसार 11 माह में स्वीकार किए जाने की बजाए सामान्य प्रशासन विभाग ने ही गलत व्याख्या कर माननीय उच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 07 अगस्त, 2023 की अवमानना  की गई। नियमानुसार 01 माह में त्यागपत्र स्वीकार होना चाहिए था, नहीं होने के बाद मुझे मान: उच्च न्यायालय की शरण लेनी पड़ी | प्रकरण उच्च न्यायलय में जाने के बाद प्रार्थी के ऊपर  निराधार विभागीय जाँच शुरू की जाती है जो कि न्याय के विरुद्ध है। माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बाद 06 सितंबर, 2023 को सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा अपने मकान के उद्घाटन से शामिल होने को गंभीर आचरण की शैली में लाकर त्याग-पत्र, दीर्घ शास्ति आरोपित कर, अमान्य कर दिया गया। संपूर्ण कार्यवाही पक्षपातपूर्ण की जा रही है।

शासकीय सेवा करना या ना करना मेरा व्यक्तिगत निर्णय

शासकीय सेवा करना या ना करना, ये किसी व्यक्ति का व्यक्तिगत निर्णय हैं। मुझे बंधुआ मजदूर की तरह रखना स्वतंत्र भारत के आत्म सम्मान को ठेस पहुँचाता है। जब एक अधिकारी होते हुए मैं अपने धार्मिक आस्था अनुरूप अपने अधिकारों को नहीं प्राप्त कर सकी तो मुझे ऐसी मौतरी से अब कोई दिलचस्पी नहीं है। अब मैं मेरे जैसे करोड़ों लोगों, जो हाशिए पर जी रहे हैं, उसे उनके अधिकारों के लिए सुखर होकर लड़ना चाहती है। मैं अनुसूचित जाति की महिला हूँ। बहुत संघर्ष करके मैंने अपनी पढ़ाई पूरी की और अधिकारी बन पाई लेकिन एक महिला होने के नाते मुझे मप्र शासन द्वारा प्रताडित किया जा रहा है। एक तरफ आप महिलाओं के अधिकारों की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं दूसरी तरफ मुझे तरह-तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है।

चुनाव लड़ने की जताई इच्छा

पत्र में आगे लिखा है कि अत: मैने भी अब फैसला ले लिया है कि में भी भारत देश के लिए, लोकहित में जनप्रतिनिधि के रूप में कार्य कर जनता के अधिकारों के लिए अपना जीवन समर्पित करना चाहती हूँ। मुझे पूरा विश्वास है जिस तरह आपने महिलाओं को राजनीति में भागीदारी हेतु 33% आरक्षण देने की पहल की है, मुझे अनुसूचित जाति की महिला को नहीं रोका जाएगा।जिस तरह बीजेपी द्वारा 17 अगस्त 2023 को घोषित 39 विधानसभा प्रत्याशियों की सूची में एमपी के अधिकारियों / कर्मचारियों को प्रत्याशी एक ही दिन में जनप्रतिनिधि बनने का मौका दिया गया, मुझे म भी डॉ विजय आनंद मरावी ( सहायक अधीक्षक, जबलपुर मेडिकल कॉलेज), प्रकाश  ( जज, दमोह) एवं  वीरेन्द्र सिंह (शासकीय शिक्षक, सागर) की भांति अपने देश की सेवा किए जाने के लिएजनप्रतिनिधि बनने हेतु मेरा त्याग-पत्र स्वीकार किया जाए। सिर्फ एक महिला वो भी अनुसूचित जाति की होने के कारण मुझे मेरे स्वतं‌त्रता के अधिकार से वंचित ना रखा जाए।

आमरण अनशत की कही बात

पत्र में निशा ने आगे लिखा है कि अन्यथा मजबूरी में मुझे, पुनः जिस तरह गांधी जी ने देश को अंग्रेज से चुका करने के लिए सत्याग्रह और आमरण अनशन किए थे उसी तरह मैं भी अगर अपने अधिकारों को प्राप्त न कर सकी, महिलाओं और अनुसूचित जाति जनजाती स्वं संपूर्ण पिछड़ो एवं वंचित वर्गों के साथ सत्याग्रह करने को विवश हो जाऊँगी और किसी भी प्रकार की गति के लिए भारत सरकार और मप्र. शासन जिम्मेदार होंगे। अत: शीघ्रातिशीघ्र मेरा त्याग-पत्र स्वीकार किया जाए ताकि मैं आगामी मप्र विधानसभा चुनाव 2023 जिसके लिए घोषणा आगामी अक्टूबर माह 2023 में होने जा रही है, मै अपनी उम्मीदवारी देश की सेवा करने, विधायिका का हिस्सा बनने के लिए कर सकूँ। अन्यथा मुझे विवश होकर अपने अधिकारों के लिए अनशन करना होगा और सड़‌को पर उतरना होगा जिसकी पूरी जिम्मेदारी मप्र शासन की होगी। धन्यवाद ।

 

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Pooja Khodani

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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