भाजपा में नेताओं की बेरुखी से गड़बड़ाया तालमेल, हर सीट पर हो रही मुश्किल

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भोपाल। प्रदेश में लोकसभा चुनाव का दूसरा चरण कल होने जा रहा है। सभी प्रमुख दलों के नेता ताबड़तोड़ सभाएं करने में जुटे हैं, लेकिन चुनाव के बीच मप्र भाजपा के नेताओं के बीच बेहतर समन्वय की कमी देखने को मिल रही है। जिससे कार्यकर्ता असमंजस की स्थिति में है। कई चुनाव क्षेत्रों में कार्यकर्ता पिछले चुनावों की तरह पार्टी प्रत्याशियों के लिए मैदान में नहीं उतर रहा है। यही वजह है कि भाजपा की चुनावी सभाओं में भीड़ पहले जैसी नहीं उमड़ रही है। 

प्रदेश में सरकार के रहते सभी पदाधिकारी सक्रिय भूमिका में थे, लेकिन अब बैठकों तक सीमित हो गए हैं। जिसकी वजह यह है कि प्रदेश नेतृत्व की ओर से पार्टी नेताओं को चुनाव में कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है।  ���िसकी वजह से पदाधिकारी चुनाव के दौरान हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। ज्यादातर पदाधिकारी अपने चहेते नेताओं के क्षेत्र में मुंह दिखाई की रस्म अदा करते दिख रहे हैं। वही दूसरी ओर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने प्रदेश भाजपा के नेताओं से खाली समय में पार्टी कार्यालय में उपस्थित रहकर कार्यकर्ताओं से मुलाकात करने को कहा है। लेकिन नेताओं की इसमें भी रुचि नहीं है। प्रदेशाध्यक्ष से लेकर अन्य नेता कार्यालय में बंद कमरे में ही बैठक करते रहते हैं, जबकि आम कार्यकर्ता उनके बाहर आने का इंतजार में बैठा रहता है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भोपाल में होने पर सुबह प्रदेश कार्यालय पहुंचकर पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं के साथ चर्चा करते हैं। 

नेताओं को नहीं है भरोसा

पिछले चुनावों में सत्ता और संगठन के नेताओं के बीच जबर्दस्त तालमेल था, वह अब नहीं है। शिवराज सिंह चौहान जब मुख्यमंत्री थे, तब नरेन्द्र सिंह तोमर चुनाव के दौरान संगठन की कमान संभालते थे। खास बात यह है कि वह आम कार्यकर्ता से भी मुलाकात करते थे, लेकिन अब वैसी स्थिति भाजपा में देखने को नहीं मिल रही है। मप्र भाजपा में प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव के बीच बेहतर तालमेल देखने को नहीं मिल रहा है। वहीं प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत ने लोकसभा चुनाव में खुद को सीमित कर लिया है। विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी ने उनके चहेते सह संगठन महामंत्री अतुल राय की भाजपा से विदाई कर दी थी, इसके बाद से ही भगत ने खुद की सीमाएं तय कर ली है। वे बैठकों तक सीमित हैं। 

मोर्चों पर नहीं है नियंत्रण 

पिछले लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव तक भाजपा के सभी मोर्चे चुनाव में सक्रियता भूमिका निभाते रहे हैं, लेकिन इस बार भाजपा के मोर्चे सीमित हो गए हैं। किसान मोर्चा, युवा मोर्चा एवं महिला मोर्चा की हर चुनाव में अहम भूमिका होती है, लेकिन तीनों मोर्चा चुनाव में निष्क्रिय भूमिका में है। मोर्चांे के पदाधिकारी अपने-अपने नेताओं के चुनाव प्रचा�� में जुटे हैं। किसान मोर्चा के अध्यक्ष रणवीर रावत मुरैना संसदीय क्षेत्र में नरेन्द्र सिंह तोमर के लिए चुनाव प्रचार में जुटे हैं। इसी तरह भाजयुमो के प्रदेशाध्यक्ष अभिलाष पाण्डेय खजुराहो में वीडी शर्मा के चुनाव की कमान संभाले हुए हैं। मप्र भाजयुमो का पूरा फोकस खजुराहो सीट तक है। जहां सोमवार को मतदान होना है। इसी तरह महिला मोर्चा की अध्यक्ष लता ऐलकर चुनाव में पूरी तरह से निष्क्रिय रहीं हैं। 


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