गुरु प्रदोष व्रत पर जरूर पढ़ें और सुनें यह कथा, वैवाहिक जीवन रहेगा खुशहाल

Guru Pradosh Vrat 2024: गुरु प्रदोष व्रत को लेकर विशेष मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। खासकर यदि आप इस दिन भगवान शिव की कथा सुनते हैं, तो यह वैवाहिक जीवन में आ रही बाधाओं को दूर करने में मददगार साबित होती है।

भावना चौबे
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Guru Pradosh Vrat 2024

Guru Pradosh Vrat 2024: गुरु प्रदोष व्रत भगवान शिव की आराधना के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। यह व्रत विशेष रूप से विवाह संबंधी बाधाओं को दूर करने और जीवन की अन्य समस्याओं का समाधान पाने के लिए रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन कथा सुनने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होने की संभावना बढ़ जाती है।

यह व्रत व्यक्ति को आत्मिक शांति प्रदान करता है और मन को शुद्ध और सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है। भगवान शिव के प्रति समर्पण और श्रद्धा से किए गए इस व्रत से जीवन में सुख समृद्धि और शांति का मार्ग प्रशस्त होता है।

कब रखा जाएगा गुरु प्रदोष व्रत

पंचांग के अनुसार इस वर्ष मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 नवंबर गुरुवार को सुबह 6 बजकर 23 बजे से शुरू होकर 29 नवंबर को सुबह 9 बजकर 43 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार प्रदोष व्रत 28 नवंबर को रखा जाएगा, और गुरुवार होने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा गया है। इस दिन भगवान शिव की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 23 मिनट से रात 8 बजे तक रहेगा।

गुरु प्रदोष व्रत के दिन जरूर सुनें ये कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार इंद्र और वृत्तासुर के बीच भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध में देवताओं ने दैत्य सेना को पराजित कर नष्ट कर दिया, लेकिन वृतासुर अत्यंत क्रोधित हो गया और अपनी आसुरी माया से विकराल रूप धारण करो स्वयं युद्ध करने लगा। उसकी शक्ति के आगे देवता भयभीत होकर देवगुरु बृहस्पति के शरण में गए।

बृहस्पति ने उन्हें वृतासुर का वास्तविक परिचय देते हुए कहा कि यह पूर्व जन्म में चित्ररथ का राजा था, जिसने शिव जी का उपहास करने के कारण माता पार्वती के शाप से राक्षस योनि को प्राप्त किया था और तपस्या के फलस्वरूप वृतासुर बना। बृहस्पति ने देवराज इंद्र को बृहस्पति प्रदोष व्रत करने की सलाह दी ताकि भगवान शिव की कृपा प्राप्त। इंद्र ने इस व्रत को पूरी श्रद्धा से किया, जिसके फलस्वरुप उन्होंने वृतासुर पर विजय प्राप्त की और देवलोक में शांति स्थापित की। यह कथा प्रदोष व्रत की महिमा और भगवान शिव की कृपा से मिलने वाले अद्भुत फल का प्रमाण है।

गुरु प्रदोष व्रत का महत्व

गुरु प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन को भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का सबसे शुभ दिन माना जाता है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा और शिव कथा सुनने से भक्तों की मनोकामनाएं बहुत जल्द पूरी होती है। विशेषकर विवाह संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए इस व्रत को अत्यंत फलदायक माना जाता है। इस व्रत के दौरान भगवान शिव की कथा सुनने से केवल मानसिक शांति नहीं मिलती, बल्कि व्यक्ति के जीवन में खुशहाली और सफलता का मार्ग भी प्रशस्त होता है।

Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।


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भावना चौबे

भावना चौबे

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